प्रयागराज में माघ मेले की तैयारियों को लेकर उस समय माहौल गरमा गया, जब Keshav Prasad Maurya औचक निरीक्षण पर पहुंचे। संगम नगरी में चल रही तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे डिप्टी सीएम का रुख उस वक्त सख्त हो गया, जब संगम नोज पर स्नान घाटों का काम अधूरा मिला।
निरीक्षण के दौरान उनकी नाराजगी साफ तौर पर नजर आई। इसी दौरान जिलाधिकारी को लेकर दिया गया उनका एक बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
‘सतुआ बाबा की रोटी के चक्कर में मत पड़ो’— बयान हुआ वायरल
निरीक्षण के बाद जब डिप्टी सीएम अपनी गाड़ी की ओर बढ़ रहे थे, तभी उन्होंने प्रयागराज के डीएम से कहा— “सतुआ बाबा की रोटी के चक्कर में मत पड़ो।” इस टिप्पणी के बाद मौके पर मौजूद लोग खुद को हंसने से नहीं रोक पाए। हालांकि माहौल कुछ पल के लिए हल्का जरूर हुआ, लेकिन संदेश बेहद गंभीर माना जा रहा है।
Magh Mela Preparation: संगम नोज पर अधूरे घाट बने नाराजगी की वजह
डिप्टी सीएम माघ मेले की व्यवस्थाओं का औचक स्थलीय निरीक्षण करने Prayagraj पहुंचे थे। संगम नोज, जिसे माघ मेले का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है, वहां स्नान घाटों का समय से तैयार न होना उनकी नाराजगी की बड़ी वजह बना।
उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिस और मेला अधिकारियों से सवाल-जवाब किए और स्पष्ट कहा कि माघ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा विषय है, जिसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
वायरल वीडियो से जुड़ा है बयान का संदर्भ
इस पूरे घटनाक्रम के पीछे एक वायरल वीडियो की भी अहम भूमिका मानी जा रही है। कुछ दिन पहले प्रयागराज के एक संत शिविर में डीएम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वे चूल्हे पर रोटी बनाते नजर आए थे।
इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं—किसी ने इसे सादगी बताया, तो किसी ने दिखावा करार दिया।
बताया जा रहा है कि यही वीडियो राजधानी लखनऊ तक चर्चा का विषय बना और निरीक्षण के दौरान डिप्टी सीएम की टिप्पणी को उसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
प्राथमिकताओं पर सीधा संदेश
डिप्टी सीएम ने अधिकारियों को साफ संकेत दिया कि किसी एक संत या प्रतीकात्मक गतिविधि पर ज्यादा ध्यान देने के बजाय, उन सभी साधु-संतों और कल्पवासियों की जरूरतों पर फोकस होना चाहिए, जिन्हें अब तक जमीन, बिजली, पानी और अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं।उन्होंने दो टूक कहा कि माघ मेले की व्यवस्थाएं संतुलित और जमीनी स्तर पर प्रभावी होनी चाहिए।








