
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से बड़ी कार्रवाई सामने आई है। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की टीम ने 7 करोड़ रुपये के शासकीय धन गबन के मामले में वांछित अभियुक्त जितेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। जितेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम में अवर अभियंता (सिविल) के पद पर कार्यरत था और उसे लखनऊ के निशातगंज स्थित कार्यालय से गिरफ्तार किया गया।

क्या है पूरा मामला?
वर्ष 2012-13 में उत्तर प्रदेश सरकार ने गाजीपुर जिले के भदौरा ब्लॉक में स्थित पाँच स्थलों — रेमन शाह का तालाब, सेवराई चीरा का पोखरा, मां कामाख्या धाम गहमर, देवकली स्थल और कीनाराम स्थल, देवल — के पर्यटन विकास और सौंदर्यीकरण हेतु योजनाएं शुरू की थीं। इन कार्यों को सम्पन्न कराने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम, वाराणसी यूनिट को दी गई थी।
लेकिन कार्यदायी संस्था के अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदारों द्वारा परियोजनाओं को न तो समय पर पूरा किया गया, न ही निर्माण कार्य तय मानकों के अनुसार किए गए। नतीजतन, राज्य सरकार को लगभग 7 करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति हुई।
दर्ज हुआ मामला, 26 अभियुक्त नामजद
इस मामले में पर्यटन विभाग वाराणसी के जॉइंट डायरेक्टर अविनाश चंद्र मिश्रा की ओर से गाजीपुर के गहमर थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। FIR में कुल 26 अभियुक्तों को नामजद किया गया था, जिनमें से जितेंद्र सिंह भी एक वांछित अभियुक्त था।
जांच में सामने आया कि जितेंद्र सिंह ने निर्माण कार्यों के नाम पर 32 बार अग्रिम भुगतान कर कुल ₹2,41,07,499 (2 करोड़ 41 लाख 7 हजार 499 रुपये) की राशि विभिन्न फर्मों को जारी की थी, जबकि परियोजनाएं या तो अधूरी थीं या मानकों के अनुरूप नहीं की गई थीं।
अब तक 14 आरोपियों पर दायर हो चुका है आरोप पत्र
EOW की जांच के दौरान अब तक 14 अभियुक्तों के विरुद्ध चार्जशीट अदालत में दाखिल की जा चुकी है। अब जितेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद मामले की जांच में और तेजी आने की संभावना है।
सरकार का संदेश: भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं
यह गिरफ्तारी राज्य सरकार की उस नीति को दर्शाती है जिसमें शासन के धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के मामलों में ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जा रही है। यह भी स्पष्ट संकेत है कि वर्षों पुराने मामलों की भी गंभीरता से जांच की जा रही है और दोषियों को कानून के कटघरे में लाया जा रहा है।