Chhath Puja 2025: खरना की खीर का धार्मिक महत्व, जानें क्यों बनाई जाती है गुड़ वाली खीर
Chhath Puja 2025: छठ महापर्व का दूसरा दिन ‘खरना’ कहलाता है, जिसे अत्यंत श्रद्धा, संयम और पवित्रता के साथ मनाया जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद गुड़ और चावल की खीर का भोग लगाकर उपवास खोलते हैं।खरना की खीर को छठी मैया का प्रिय प्रसाद माना गया है और यह सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि भक्ति, शुद्धता और अनुशासन का प्रतीक है।
खरना की खीर का धार्मिक महत्व
छठ पूजा में खरना पूजा का विशेष स्थान है। इस दिन बनाई जाने वाली खीर को पवित्र माना जाता है क्योंकि माना जाता है कि छठी मैया को गुड़ की खीर अत्यंत प्रिय है।यह खीर न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से पवित्र प्रसाद है, बल्कि व्रती को ऊर्जा और शांति भी प्रदान करती है। खरना की खीर में शामिल सामग्री — गुड़, चावल और दूध — शुद्धता और समर्पण का प्रतीक मानी जाती हैं।
खरना की खीर क्यों होती है विशेष?
शुद्धता का प्रतीक: इसे मिट्टी के नए चूल्हे पर और पीतल की कड़ाही में आम की लकड़ी से पकाया जाता है।
ऊर्जा का स्रोत: खरना के बाद व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं, इसलिए यह खीर उन्हें ऊर्जा और ताकत देती है।
छठी मैया को प्रिय प्रसाद: यह माना जाता है कि गुड़ वाली खीर छठी मैया की सबसे प्रिय भेंट है।
सात्त्विकता और श्रद्धा: इसमें प्याज, लहसुन या किसी तामसिक पदार्थ का उपयोग नहीं किया जाता।
गुड़ वाली खीर का महत्व
गुड़ को शुद्ध और पवित्र माना जाता है।
यह शरीर को ऊर्जा और गर्मी प्रदान करता है।
माना जाता है कि गुड़ से बनी खीर व्रती को स्वास्थ्य, शक्ति और आध्यात्मिक संतुलन देती है।
यह प्रसाद सकारात्मक ऊर्जा और रोगनाशक गुणों से भरपूर होता है।
खरना पूजा की विधि (Kharna Puja Vidhi 2025)
सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की सफाई करें।
स्नान के बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखें।
शाम को सूर्यास्त के समय सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करें।
गुड़, दूध और चावल से खीर बनाएं और रोटी व केले के साथ भोग लगाएं।
पहला निवाला सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित करें, फिर परिवार व मित्रों में प्रसाद बांटें।
खरना कब मनाया जाएगा?
Chhath Puja 2025 में खरना पूजा 26 अक्टूबर (रविवार) को मनाई जाएगी। इस दिन व्रती सूर्यास्त के बाद खीर का प्रसाद ग्रहण करेंगे और इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगे, जो 28 अक्टूबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।
खरना के बाद के नियम (Kharna Rules)
खरना के बाद व्रती पानी या भोजन ग्रहण नहीं करते।
वे अगले 36 घंटे तक पूरी तरह उपासना, ध्यान और संयम में रहते हैं।
इस दौरान व्रती सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं।
ठेकुआ, फल और सूप में सजाए प्रसाद का अर्घ्य अर्पित किया जाता है।







