23 साल बाद गिरफ्तार: बबलू उर्फ टाइगर, निर्भय गुर्जर गैंग का कुख्यात दस्यु
डौकी पुलिस ने पकड़ा 23 साल से फरार टाइगर
डौकी पुलिस ने सोमवार की रात बबलू उर्फ टाइगर को गिरफ्तार किया। टाइगर निर्भय गुर्जर गैंग का कुख्यात सदस्य था और उस पर 50 हजार रुपये का इनाम था। उसे पकड़ने में पुलिस को पूरे 23 साल लगे।
अपहरण और फिरौती का मास्टरमाइंड
डीसीपी पूर्वी सैयद अली अब्बास ने बताया कि वर्ष 2002 में थाना पिढ़ौरा के गांव राटोटी में 18 वर्षीय हरिओम उर्फ कल्ला का अपहरण हुआ था। बबलू उर्फ टाइगर ने इस अपहरण को अंजाम दिया और फिरौती वसूलने में सक्रिय भूमिका निभाई। टाइगर का काम यह चिन्हित करना था कि अपहरण किसका होना है और फिर गैंग तक उन्हें पहुंचाना।
निर्भय गुर्जर के मारे जाने के बाद टाइगर भाग गया और कई रूप बदलता रहा। कभी ट्रक पर क्लीनर बना, तो कभी ढाबे पर काम किया। वह गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अपनी पहचान छुपाता रहा।
पुलिस के सामने टाइगर का खेल
पकड़े जाने के बाद टाइगर पुलिस से उलझा और सवाल-जवाब करने लगा। उसने दिखाने की कोशिश की कि उसका अपराध से कोई नाता नहीं। वर्तमान में वह जसपुर, बांदा में अपने बड़े भाई के परिवार के साथ रह रहा था। तलाशी में उसके पास एक तमंचा और कारतूस बरामद हुए।
ढाई दशक पहले चलाता था अपहरण उद्योग
डीसीपी पूर्वी ने बताया कि टाइगर मामूली अपराधी नहीं था। लगभग ढाई दशक पहले वह निर्भय गुर्जर गैंग के लिए अपहरण उद्योग में सक्रिय था। गैंग का काम था धनाढ्य व्यक्तियों को अपहरण कर फिरौती वसूलना। टाइगर पैसे वालों को चिन्हित करता, जाल में फंसाता और गैंग तक पहुंचाता था।
राटोटी के हरिओम के अपहरण में 11 लाख 51 हजार रुपये की फिरौती वसूली गई थी। शुरुआत में उस पर केवल 500 रुपये का इनाम था, जो बाद में बढ़कर 50 हजार रुपये तक पहुंच गया।