
नाग पंचमी हिन्दू धर्म का एक पावन पर्व है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन सर्प देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन में सर्पदोष समाप्त होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
नाग पंचमी का धार्मिक महत्व
सर्पों का स्थान हिन्दू धर्म में विशेष
भगवान शिव के गले में वासुकी नाग, भगवान विष्णु की शय्या पर शेषनाग और भगवान गणेश के पेट पर नागराज की माला होती है।
पौराणिक कथा
महाभारत में जनमेजय द्वारा नाग यज्ञ किए जाने की कथा प्रसिद्ध है। माता मनसा देवी और तक्षक नाग की पूजा का यह दिन खास महत्व रखता है।
कुंडली के कालसर्प दोष से मुक्ति
जो लोग कुंडली में कालसर्प योग से पीड़ित होते हैं, वे इस दिन विशेष पूजा और मंत्रों द्वारा मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
नाग पंचमी पूजा विधि
सुबह स्नान कर घर के मुख्य द्वार या आंगन में गोबर से नाग का चित्र बनाएं।
दूध, लड्डू, पुष्प, चावल और कुश से पूजा करें।
“ॐ नमः सर्पेभ्यः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
सांप को दूध पिलाने की परंपरा भी है, लेकिन जानवरों को नुकसान पहुंचाने से बचें।
नाग पंचमी
नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?
सर्पों की पूजा कर उनसे रक्षा और जीवन में सुख-शांति की कामना की जाती है।
क्या इस दिन सर्प को दूध पिलाना चाहिए?
परंपरा के अनुसार दूध चढ़ाना आम है, लेकिन जानवरों को नुकसान न पहुंचाएं।
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए क्या करना चाहिए?
नाग पंचमी के दिन मंदिर में नाग देवता की पूजा करें और विशेष मंत्रों का जाप करें।