लखनऊ फर्जी डिग्री रैकेट का भंडाफोड़: 25 राज्यों में नेटवर्क, 15 करोड़ का अवैध कारोबार
लखनऊ में फर्जी शैक्षणिक डिग्री बेचने वाले इंटर-स्टेट गिरोह का खुलासा हुआ है। पुलिस ने गैंग के सरगना समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया है कि यह संगठित रैकेट लखनऊ से संचालित हो रहा था और इसकी जड़ें देश के 25 राज्यों तक फैली थीं।
गोमतीनगर से चल रहा था इंटर-स्टेट नेटवर्क
पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि गिरोह का संचालन गोमतीनगर इलाके से किया जा रहा था। यहां साइबर कैफे और निजी ऑनलाइन एग्जाम सेंटर की आड़ में फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां तैयार की जाती थीं। इसी नेटवर्क के जरिए देश के अलग-अलग राज्यों में ग्राहकों से संपर्क कर मनचाही डिग्री बेची जाती थी।
दिल्ली-मुंबई समेत कई राज्यों तक फैला जाल
जांच में खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों तक गिरोह का नेटवर्क फैला हुआ था। जरूरतमंद युवाओं को बिना पढ़ाई और मेहनत के डिग्री दिलाने का लालच देकर फंसाया जाता था। कई मामलों में प्रतीकात्मक परीक्षा भी कराई जाती थी, ताकि फर्जीवाड़े पर शक न हो।
पीएचडी से बीटेक तक बिक रही थीं फर्जी डिग्रियां
गिरोह द्वारा पीएचडी, बीटेक, बीसीए, एमसीए, एमबीए, एमएससी, बीए और एमए जैसी डिग्रियां तैयार की जाती थीं। अलग-अलग कोर्स और विश्वविद्यालय के नाम पर कीमत तय होती थी।
साधारण डिग्रियां: 25 हजार रुपये
प्रोफेशनल और उच्च डिग्रियां: 4 लाख रुपये तक
2021 से सक्रिय, 1500 से अधिक लोगों को बेची डिग्री
पुलिस के अनुसार, गिरोह वर्ष 2021 से सक्रिय था। अब तक 1500 से अधिक लोगों को फर्जी डिग्रियां बेची जा चुकी हैं। इस अवैध कारोबार का कुल टर्नओवर करीब 15 करोड़ रुपये आंका गया है। बरामद दस्तावेजों से साफ है कि यह रैकेट लंबे समय से योजनाबद्ध तरीके से चल रहा था।
923 फर्जी डिग्रियां और यूनिवर्सिटी की मुहरें बरामद
छापेमारी के दौरान 25 अलग-अलग विश्वविद्यालयों के नाम पर बनी 923 फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट बरामद की गईं। इसके अलावा 15 विश्वविद्यालयों की कूटरचित मुहरें, विशेष पेपर, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, प्रिंटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए गए हैं।
फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वालों पर भी कार्रवाई
पुलिस जांच में सामने आया है कि फर्जी डिग्री लेने वाले कई लोग निजी कंपनियों में नौकरी हासिल कर चुके थे। अब ऐसे लोगों की सूची तैयार की जा रही है, ताकि फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने वालों पर भी कार्रवाई की जा सके।







