लखनऊ में KGMU भर्ती विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार यूपी के टॉप मेडिकल संस्थान SGPGI डॉक्टर अयोग्य घोषित किए गए हैं। यूपी विधान मंडल दल की संयुक्त समिति की जांच में सामने आया कि KGMU की डॉक्टर भर्ती प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी हुई है।
चयन प्रक्रिया में रिजर्व कैटेगरी के 108 पद थे, लेकिन कई योग्य उम्मीदवारों को “नॉट फाउंड सूटेबल” की श्रेणी में डाल दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि इस सूची में SGPGI जैसे टॉप क्लास संस्थान के फैकल्टी डॉक्टर भी शामिल हैं। इससे भर्ती प्रक्रिया पर धांधली के आरोप और गहरे हो गए हैं।
भर्ती घोटाले पर शासन सख्त, इंटरव्यू रिकॉर्डिंग मांगी
आरोप है कि ज्यादातर रिजेक्ट किए गए उम्मीदवार आरक्षित वर्ग से थे। कई अभ्यर्थियों ने दावा किया कि वे सभी जरूरी क्वालिफिकेशन रखते थे और लिखित परीक्षा भी पास कर चुके थे। इसी बीच शासन ने बड़ा कदम उठाते हुए KGMU प्रशासन से इंटरव्यू रिकॉर्डिंग और भर्ती दस्तावेज मांगे हैं।
उप सचिव आनंद कुमार त्रिपाठी ने पत्र जारी कर 7 दिन के भीतर सभी रिकॉर्ड्स प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। लेकिन KGMU प्रशासन ने राजभवन से अनुमति लेने की बात कहकर फाइल अटका दी। अब यह मामला और गर्माता दिख रहा है।
संयुक्त समिति की कड़ी आपत्ति
25 जून को संयुक्त समिति ने KGMU परिसर का दौरा किया और प्रशासन को जमकर फटकार लगाई। समिति ने पूछा कि बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को “NFS” क्यों घोषित किया गया और रातों-रात ज्वॉइनिंग क्यों कराई गई। इसके अलावा आरक्षित वर्ग की बैकलॉग भर्ती का विज्ञापन डेढ़ महीने के भीतर निकालने का निर्देश भी दिया गया।
भर्ती प्रक्रिया पर सवाल
जांच में खुलासा हुआ कि आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया। KGMU भर्ती विवाद में यह भी आरोप है कि चयनित उम्मीदवारों की ज्वॉइनिंग आधी रात को कराई गई। कार्यपरिषद की बैठक में भी जांच टीम की रिपोर्ट नहीं रखी गई, जो नियमों का उल्लंघन है।
KGMU प्रशासन का पक्ष
KGMU प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में सभी नियमों का पालन हुआ है और शासन के आदेशों का पालन किया जाएगा। हालांकि, SGPGI डॉक्टर अयोग्य घोषित होने और इंटरव्यू रिकॉर्डिंग मांगने के बाद यह विवाद और गहराता जा रहा है।