राम मंदिर शिखर पर फहरा उठा केसरिया धर्मध्वज, विवाह पंचमी पर ऐतिहासिक ध्वजारोहण
अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में आज इतिहास रच गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के मुख्य शिखर पर केसरिया धर्मध्वज फहराया। रामलला प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यह ध्वजारोहण मंदिर निर्माण की पूर्णता का वैश्विक प्रतीक माना जा रहा है। विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर आयोजित इस भव्य कार्यक्रम ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा।
प्रधानमंत्री मोदी ने राम दरबार और गर्भगृह में विशेष पूजा-अर्चना की। इस दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं। पूरा परिसर मंत्रोच्चार और वैदिक अनुष्ठानों से गूंज उठा।
161 फीट ऊंचे शिखर पर फहराया गया धर्मध्वज: उत्सव में डूबी राम नगरी
मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर फहराया गया यह केसरिया ध्वज त्याग, धर्मनिष्ठा, शौर्य और रामराज्य के मूल्यों का प्रतीक है। इस अलौकिक दृश्य को देखकर हजारों श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।पूरा अयोध्या शहर शुभ धुनों, जयकारों और सांस्कृतिक उत्साह से सराबोर रहा।
राम मंदिर की धर्मध्वजा की विशेषताएँ और धार्मिक महत्व
अयोध्या के राम मंदिर की यह धर्मध्वजा कई मायनों में अद्वितीय है।
ध्वज के आयाम और संरचना
लंबाई: 20 फीट
चौड़ाई: 10 फीट
ध्वजदंड की ऊंचाई: 42 फीट
शिखर की कुल ऊंचाई: 161 फीट
इसे गुजरात की एक प्रतिष्ठित पैराशूट कंपनी ने 25 दिनों में तैयार किया है।ध्वज पैराशूट-ग्रेड कपड़े और प्रीमियम सिल्क धागे से निर्मित है, जो:
60 किमी/घंटा की हवा
भारी बारिश
धूप
इन सभी परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम है।
धर्मध्वज पर अंकित तीन पवित्र चिह्न
तेजस्वी सूर्य का प्रतीक
सूर्य भगवान राम के कुलदेवता हैं। सूर्य-चिह्न वीरता, विजय और तेजस्विता का प्रतीक है। यह ध्वज पूरी तरह सूर्य देवता की दिव्य उर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
‘ॐ’ का पवित्र स्वरूप
‘ॐ’ सभी मंत्रों का प्राण है और संपूर्ण सृष्टि का प्रतिनिधि माना जाता है। धर्मध्वजा पर इसका होना आध्यात्मिक ऊर्जा और दिव्यता को दर्शाता है।
कोविदार वृक्ष (कचनार) की छवि
कोविदार वृक्ष रघुवंश का प्राचीन प्रतीक है। वाल्मीकि रामायण में भरत के ध्वज पर भी कोविदार का वर्णन मिलता है—
यह कुल-परंपरा और मर्यादा पुरुषोत्तम राम की विरासत का प्रतीक है।
केसरिया (भगवा) रंग का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
केसरिया रंग सनातन परंपरा में दर्शाता है:
त्याग
तपस्या
वीरता
धर्मनिष्ठा
समर्पण
प्रकाश और ज्ञान
रामराज्य के शासन में इस रंग को विशेष सम्मान प्राप्त था, और आज भी यह हिंदू धर्म में सर्वोच्च धार्मिक रंग माना जाता है।








