हरियाणा के भिवानी में मनीषा केस को लेकर बढ़ रही राजनीति से मनीषा के पिता संजय गहराई से परेशान हैं। उन्होंने हाल ही में एक वीडियो जारी कर युवती की मौत को राजनीति का मुद्दा बनाने से साफ मना किया। पिता का बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कि जब से उनकी बेटी की मौत हुई है, तब से राजनीतिक दल लगातार कुछ न कुछ कहते रहते हैं, जिससे वे मानसिक तौर पर झुंझलाए हुए हैं। उन्होंने हाथ जोड़कर सभी से अपील की कि इस संवेदनशील मामले में राजनीति न की जाए।
बातचीत के दौरान संजय ने यह भी बताया कि सरकार ने उनकी दो मुख्य मांगें—CBI जांच और दिल्ली AIIMS में पोस्टमॉर्टम कराने—को मंजूरी दे दी है, जिससे वे संतुष्ट हैं और उन्होंने सरकार पर पूरा भरोसा जताया।
मनीषा का शव कॉलेज से लगभग 500 मीटर दूर एक खेत में मिला था, जहां पुलिस ने जगह को सील कर रखा है। इस मामले को लेकर विधानसभा में भी भारी हंगामा देखने को मिला, जहां कांग्रेस ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के नारे के साथ काम रोको प्रस्ताव पेश किया। सदन की कार्यवाही 4 घंटे में 6 बार स्थगित करनी पड़ी, लेकिन अंततः विपक्ष का प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया और अब 26 अगस्त को इसपर चर्चा होगी।
मनीषा 11 अगस्त को लापता हुई थी और 13 अगस्त को उसका शव मिला। परिवार ने हत्या की आशंका जताते हुए पुलिस पर आरोप लगाए कि उनकी शिकायत को अनदेखा किया गया। इसके बाद सरकार ने कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की लेकिन परिजन संतुष्ट नहीं हुए। तीसरे पोस्टमॉर्टम में यह पता चला कि मनीषा ने सुसाइड किया था, साथ ही सुसाइड नोट भी जारी किया गया।
परिवार और ग्रामीणों ने CBI जांच और AIIMS में पोस्टमॉर्टम की मांग जोर-शोर से की, जिसे सरकार ने 20 अगस्त को मान लिया। 21 अगस्त को मनीषा का अंतिम संस्कार हुआ, लेकिन इससे पहले गांव में लंबा आंदोलन हुआ था।
22 अगस्त को हरियाणा के DGP ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केस की गंभीरता को बताया और कहा कि जांच अब CBI कर रही है। उन्होंने PGI के डॉक्टरों की कार्यशैली की तारीफ की। मनीषा केस के चलते सोशल मीडिया पर भी भारी प्रतिक्रियाएं आईं, जहां लोग न्याय की मांग कर रहे हैं।