Drug Addiction in Teenagers: कम उम्र में सिरिंज से ड्रग्स का बढ़ता इस्तेमाल गंभीर सामाजिक संकट बनता जा रहा है.नशे से नाबालिगों की बर्बादी

Drug Addiction in Teenagers: जिस उम्र में हाथों में किताबें होनी चाहिए, उस उम्र में अगर सिरिंज पकड़ी जाए, तो यह सिर्फ एक सामाजिक चिंता नहीं, बल्कि एक गंभीर समस्या है. आज के युवाओं और नाबालिगों के बीच नशे का बढ़ता चलन समाज के भविष्य पर गहरा सवाल खड़ा करता है. स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चे जब ड्रग्स की गिरफ्त में आने लगें और नशा करने का जरिया बन जाए एक इंजेक्शन, तो समझ लीजिए कि हालात बेहद चिंताजनक हो चुके हैं.
एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा किए गए हालिया अध्ययन में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे न केवल डरावने हैं, बल्कि समाज को झकझोर देने वाले भी हैं. इस अध्ययन में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड के कुल 5,602 सिरिंज से ड्रग्स लेने वालों को शामिल किया गया, जिसमें एक बड़ी संख्या ऐसे युवाओं की है, जो या तो बेरोजगार हैं, तलाकशुदा हैं, या फिर समाज से कटे हुए हैं.
अध्ययन के चौंकाने वाले आंकड़े
एम्स द्वारा किए गए इस सर्वे में पाया गया कि, 60.1% उपयोगकर्ता ऐसे थे ,जिनकी उम्र 30 वर्ष या उससे अधिक थी, लेकिन इस खतरे की शुरुआत बहुत कम उम्र में ही हो चुकी थी. इनमें से अधिकतर लोग बेरोजगार, तलाकशुदा या मानसिक रूप से अस्थिर थे. 84. प्रतिशत लोग शहरी क्षेत्रों से थे और ज्यादातर कम पढ़े-लिखे थे.
एचआईवी का खतरा बढ़ रहा है
- सिरिंज से ड्रग्स लेने की वजह से एचआईवी संक्रमण तेजी से फैल रहा है.
- दिल्ली: 15.8 प्रतिशत है
- उत्तराखंड: 9.77 प्रतिशत है
- उत्तर प्रदेश: 5.4 प्रतिशत है
- बिहार: 2.8 प्रतिशत है
- नाबालिग क्यों हो रहे हैं शिकार?
- किशोर अक्सर अपने दोस्तों के दबाव में या नई चीज़ों की चाह में नशे की ओर बढ़ते हैं.
- टूटे हुए परिवार, घरेलू हिंसा, या माता-पिता का ध्यान न देना एक बड़ा कारण है.
- आज के समय में ड्रग्स और नशे के साधन जैसे सिरिंज, बेहद आसानी से मिल जाते हैं.
समाधान होने की दिशा में कदम
- स्कूलों में नशा विरोधी जागरूकता अभियान
- परिवार और समुदाय की सक्रिय भूमिका
- मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
- युवाओं के लिए रोजगार और स्किल ट्रेनिंग