लखनऊ पुलिस ने एक चीनी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। जांच में सामने आया है कि गैंग का सरगना राहुल केवल पांचवीं कक्षा तक पढ़ा है। उसने डीएलएफ अपार्टमेंट में एक फ्लैट 90 हजार रुपये प्रतिदिन के किराए पर ले रखा था, जिसमें वह फर्जी कॉल सेंटर चला रहा था। पुलिस को पता चला है कि इस गिरोह ने करोड़ों रुपये की ठगी कर रकम चीन भेजी है।

लखनऊ पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट, फर्जी शेयर ट्रेडिंग और वर्क फ्रॉम होम जैसे झांसे देकर भारतीयों से 20 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने वाले गैंग के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में खुलासा हुआ है कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड राहुल महज 5वीं पास है। वह टेलीग्राम ग्रुप्स के जरिए चीन के साइबर जालसाजों से जुड़ा था। ठगी से मिली रकम को वह किराए के बैंक खातों में ट्रांसफर कराता था, फिर उसे क्रिप्टोकरेंसी और यूएसडीटी में बदलकर चीन भेज देता था। इसके लिए उसने लखनऊ के विभूतिखंड स्थित डीएलएफ अपार्टमेंट में 90 हजार रुपये प्रति दिन के किराए पर एक फ्लैट ले रखा था, जहां से वह फर्जी कॉल सेंटर संचालित करता था।
पुलिस उपायुक्त अपराध कमलेश कुमार दीक्षित ने जानकारी दी कि गिरफ्तार किए गए जालसाजों में गिरोह का सरगना राहुल सोनकर (निवासी त्रिवेणीनगर पतौरागंज), राज रावत, इरादतनगर डालीगंज का मोहम्मद सलमान, चौपटिया का देवांश शुक्ला, ठाकुरगंज के हाता मिर्जा अली खान से फैजान, सआदतगंज मंसूरनगर के फैजान मोजिज, फैजुल्लागंज का अंकित यादव और मदेयगंज तिलक विहार का करन रावत शामिल हैं। गिरोह की गिरफ्तारी साइबर मुखबिर की सूचना और अन्य राज्यों में हुई ठगी के तार लखनऊ से जुड़ने के इनपुट के आधार पर की गई। जांच में पता चला कि डीएलएफ अपार्टमेंट में एक फर्जी कॉल सेंटर संचालित हो रहा है। इसके बाद साइबर थाने और साइबर क्राइम सेल की टीम ने संयुक्त रूप से सोमवार रात छापेमारी की और सरगना राहुल समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं, जिनके आधार पर आगे की जांच जारी है। पुलिस जल्द ही कुछ और आरोपियों को भी गिरफ्तार कर सकती है।