लखनऊ खादी महोत्सव में युवाओं का बढ़ा क्रेज: फैशनेबल खादी कपड़ों की जोरदार बिक्री, बुनकरों की आमदनी 3 गुना तक बढ़ी
लखनऊ के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रहे 10 दिवसीय खादी महोत्सव में इस बार युवाओं की भीड़ सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। आधुनिक डिजाइन, सस्ती कीमत और स्वदेशी कपड़ों के प्रति बढ़ती रुचि के चलते युवा बड़ी मात्रा में फैशनेबल खादी कपड़े खरीद रहे हैं।
खादी में मॉडर्न फैशन की एंट्री, बिक्री में तेजी
खादी स्टॉल लगाने वाले कई बुनकरों ने बताया कि इस वर्ष खादी की लोकप्रियता दो से तीन गुना बढ़ गई है। खासकर युवाओं की बढ़ती मांग ने उनकी आमदनी में तेजी से बढ़ोतरी की है।
बुनकरों का कहना है कि अब खादी सिर्फ पारंपरिक कपड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि
मॉडर्न डिज़ाइन,
स्टाइलिश जैकेट,
कुर्ता-पायजामा,
डिजाइनर शर्ट,
महिलाओं के लिए ट्रेंडी वियर
भी उपलब्ध हैं, जिन्हें युवा खूब पसंद कर रहे हैं।
🔹 इलेक्ट्रिक चरखे ने बदली कारीगरों की दुनिया
महोत्सव में लगाए गए इलेक्ट्रिक चरखे ने बुनकरों के काम में क्रांतिकारी बदलाव किया है।
पहले जहां पूरे दिन मेहनत कर कम कमाई होती थी, वहीं अब:
इलेक्ट्रिक चरखे से दोगुनी से ज्यादा स्पीड में कताई
रोज़गार और प्रोडक्शन में कई गुना बढ़ोतरी
आमदनी 20–30 हजार प्रतिमाह तक बढ़ने लगी है
महोत्सव में लाइव सूत कताई और हैंडविविंग की डेमो दिखाकर लोग सीधे हाथों-हाथ कपड़े तैयार करवाकर ले जा रहे हैं।
🔹 युवाओं ने कहा—खादी अब सबसे ज्यादा आरामदायक और फैशनेबल
महोत्सव में आए कई युवा ग्राहकों ने बताया कि:
खादी अन्य कपड़ों की तुलना में ज्यादा आरामदायक है
गर्मी-सर्दी हर मौसम में पहनने योग्य
फैशनेबल डिजाइन आसानी से मिल जाते हैं
कीमतें भी काफी सुलभ हैं ( ₹150 से ₹4000 तक )
🔹 परंपरा से हटकर आधुनिक खादी की मांग बढ़ी
महोत्सव में बताया गया कि खादी में समय के साथ बड़ा परिवर्तन आया है।
अब यह कपड़ा केवल ट्रेडिशनल नहीं रहा, बल्कि:
आधुनिक डिजाइन
पतला-मोटा धागा
इंडो-वेस्टर्न पैटर्न
हैंडमेड फैब्रिक
के साथ मार्केट में एक मजबूत जगह बना चुका है।
विदेशों में खादी की भारी मांग है, और एयरपोर्ट के आउटलेट पर इसकी बिक्री लगातार बढ़ रही है।
🔹 नीम की कंघी, हस्तशिल्प और स्वदेशी उत्पाद भी आकर्षण का केंद्र
महोत्सव में 160 से अधिक कारीगरों और उद्यमियों ने स्टॉल लगाए हैं।
यहां उपलब्ध हैं:
नीम की कंघी (जो हेयर फॉल कम करने का दावा करती है)
डिजाइनर मिट्टी के बर्तन
हाथ से बने खिलौने
वूलन शॉल
बनारसी साड़ियाँ
सजावटी स्वदेशी सामान
स्टॉल लगाने वाले छोटे व्यापारियों और लघु उद्योगों का कहना है कि यह महोत्सव उनके लिए सबसे फायदेमंद प्लेटफॉर्म साबित हो रहा है।








