अखिलेश यादव के SIR फॉर्म भरने के बाद सपा नेताओं का विरोध तेज, लखनऊ में पोस्टर विवाद बढ़ा
समाजवादी पार्टी में SIR फॉर्म को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। लखनऊ में एसपी प्रमुख द्वारा SIR फॉर्म भरने की अगली ही रात पार्टी के एक नेता ने प्रदेश कार्यालय के बाहर बड़ा पोस्टर लगाकर SIR प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए। इस होर्डिंग में SIR को सीधे नोटबंदी, किसान आंदोलन, लॉकडाउन और सरकारी फैसलों से जोड़ा गया, जिसके बाद राजनीतिक बहस तेज हो गई है।
लखनऊ में विवादित होर्डिंग—SIR को नोटबंदी से जोड़ा गया
होर्डिंग में SIR प्रक्रिया की तुलना पिछले विवादित फैसलों से की गई। पोस्टर में चार बड़े बिंदु लिखे गए—
1. नोटबंदी- “अव्यवस्था की वजह से मासूम जानें बैंक लाइनों में खत्म हो गईं।”
2. किसान कानून- “आंदोलन में सैकड़ों किसानों की मौत हुई।”
3. कोविड लॉकडाउन- “शून्य तैयारी, हजारों मौतें… पलायन में भूख और निराशा से कई जनहानियाँ।”
4. SIR चुनाव ड्यूटी- “काम के दबाव में 10 से अधिक BLO कर्मियों की मौत।”
पोस्टर में इन मुद्दों की अख़बार कटिंग भी शामिल की गई थी।
सपा नेता बोले—BJP सरकार जनता पर थोप रही फैसले
होर्डिंग लगाने वाले नेता ने कहा कि SIR प्रक्रिया “जनता पर थोपा गया फैसला” है, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। उनका आरोप है कि सरकार बार-बार ऐसे निर्णय ले रही है जिनका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है।
क्या है SIR प्रक्रिया? क्यों हो रहा विरोध?
चुनाव आयोग द्वारा चलाया जा रहा SIR अभियान एक महीने तक चलेगा (4 नवंबर–4 दिसंबर)। इसमें—
मतदाता सूची का सत्यापन
मृत मतदाताओं के नाम हटाना
डुप्लिकेट नाम हटाना
18+ युवाओं का नाम जोड़ना
इस प्रक्रिया में BLO घर-घर जाकर फॉर्म बांट और जमा कर रहे हैं। लोगों को यह डर है कि SIR प्रक्रिया में किसी गलती से उनका नाम सूची से हट न जाए।
अखिलेश यादव ने SIR फॉर्म भरकर शुरू की बहस
27 नवंबर को सपा प्रमुख ने खुद SIR फॉर्म भरा और समर्थकों से भी फॉर्म भरने की अपील की। उन्होंने कहा—
BLO पर दबाव डाला जा रहा है
SIR का टारगेट अव्यवहारिक है
BLO पर काम का मानसिक बोझ बढ़ रहा है
साथ ही उन्होंने मांग की कि ड्यूटी के दौरान मारे गए BLO के परिवार को 1 करोड़ का मुआवजा दिया जाए, और पार्टी ने 2 लाख का सहायता राशि देने की घोषणा की।








