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गुवाहाटी में टीम इंडिया संकट; गंभीर का टेस्ट शुरू

गुवाहाटी में टीम इंडिया संकट; गंभीर का टेस्ट शुरू

कोलकाता टेस्ट में टीम इंडिया को करारी हार झेलनी पड़ी, जो पिछले एक साल में घरेलू सरजमीं पर टीम की चौथी हार है। यह खराब सिलसिला बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से ठीक पहले शुरू हुआ, जब न्यूजीलैंड ने लगातार तीन टेस्ट जीतकर भारत को चौंका दिया था। वेस्टइंडीज के खिलाफ 2-0 की जीत से राहत मिली थी, लेकिन साउथ अफ्रीका के खिलाफ वही डर सच साबित हुआ, जो पहले से जताया जा रहा था।

ईडन गार्डन्स की सूखी और टर्निंग पिच ने भारतीय बल्लेबाजों को बुरी तरह परेशान किया। साउथ अफ्रीकी स्पिनर्स की गेंदें जिस तरह से घूम रहीं थीं, उससे भारतीय बल्लेबाजी ढह गई और टीम चौथी पारी में 150 रन का आंकड़ा भी नहीं छू सकी। हार के बाद पिच और प्लेइंग इलेवन पर चर्चा तेज है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल—क्या इस हार का असर कोच गौतम गंभीर के भविष्य

 क्या गंभीर की रणनीति टीम को गड्ढे में ले गई?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में भारतीय टीम अक्सर ‘गड्ढेनुमा टर्निंग पिचों’ में फंसती आई है। चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे बड़े खिलाड़ियों के टेस्ट करियर का ग्राफ भी इसी रणनीति की वजह से नीचे गया है।

इसके बावजूद गौतम गंभीर ने पहली ही गेंद से टर्न लेने वाली पिच की मांग की। शायद उनकी सोच थी कि ऐसी पिच स्पिनरों को मदद देगी और अफ्रीकी बल्लेबाज दबाव में आ जाएंगे। लेकिन हुआ उलटा—

  • टॉस साउथ अफ्रीका के पक्ष में गया

  • उनकी स्पिन गेंदबाजी को पिच ने और मदद दी

  • भारतीय बल्लेबाज फंसते चले गए

प्रैक्टिस मैच में साउथ अफ्रीका A टीम के 400+ रन का टारगेट चेज करने के बाद गंभीर को डर लगा था या यह एक जानबूझकर किया गया रिस्क—यह बहस का विषय है। सवाल उठ रहा है—क्या गंभीर ने अपनी टीम को खुद मुश्किल में धकेल दिया?

 व्हाइट-बॉल माइंडसेट ने बिगाड़ा टेस्ट सेटअप?

क्रिकेट विश्लेषक निखिल नाज़ का कहना है कि टीम इंडिया का मैनेजमेंट पिछले काफी समय से व्हाइट-बॉल माइंडसेट को टेस्ट क्रिकेट में लागू करने की कोशिश कर रहा है।इस कारण प्लेइंग XI में निम्न बदलाव देखने को मिले—

  • स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की जगह “बिट्स-एंड-पीसेस” ऑलराउंडर्स को तरजीह

  • वॉशिंगटन सुंदर, नीतिश रेड्डी, अक्षर पटेल, हर्षित राणा, शार्दूल ठाकुर जैसे खिलाड़ी

  • वहीं, कुलदीप यादव, प्रसिद्ध कृष्णा, आकाशदीप जैसे विशुद्ध टेस्ट बॉलर्स को बार-बार बेंच पर बैठना पड़ता है

यह रणनीति विदेशी परिस्थितियों में तो ठीक है, लेकिन घरेलू टेस्ट में यह उल्टा साबित हो रही है। यही कारण है कि टीम इंडिया अनुभव और गहराई दोनों खो रही है।

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