लखनऊ में गाड़ियों के काफिले के साथ पकड़ा गया फर्जी IAS सौरभ त्रिपाठी जेल जाने के सिर्फ 8 दिन बाद ही रिहा हो गया। लखनऊ कोर्ट को उसके फर्जी होने के पर्याप्त प्रमाण नहीं मिले, जिसके बाद कोर्ट ने उसे जमानत दे दी। अब उसके PA ने भी उसी आधार पर कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की है।
वजीरगंज पुलिस ने 4 सितंबर को किया था गिरफ्तार
4 सितंबर 2025 को वजीरगंज पुलिस ने फर्जी IAS सौरभ त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था। जमानत के बाद पुलिस उसकी रिहाई रद्द कराने और केस को मजबूत बनाने के लिए नई चार्जशीट और अतिरिक्त सबूत जुटाने में लगी है।
UPSC में असफल, फिर शुरू किया फर्जी IAS का खेल
पुलिस जांच में सामने आया कि सौरभ त्रिपाठी ने तीन बार UPSC की परीक्षा दी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह लखनऊ की ABM नॉलेजवेयर लिमिटेड में प्रोजेक्ट मैनेजर बन गया।इसी दौरान IAS अफसरों के संपर्क में आने से उसने उनका लाइफस्टाइल, प्रोटोकॉल और व्यवहार करीब से देखा और धीरे-धीरे फर्जी IAS की पहचान गढ़कर ठगी शुरू कर दी।
6 लग्जरी कारें, सभी पर फर्जी पास
पुलिस छापेमारी में सौरभ के पास से छह लग्जरी कारें बरामद हुईं।
कारों पर विधानसभा, सचिवालय, और विधान परिषद के फर्जी पास लगे थे।
RTO रिकॉर्ड से पता चला कि एक भी कार उसके नाम पर नहीं है, सभी अलग-अलग लोगों के नाम पर रजिस्टर्ड हैं।
अब पुलिस जांच कर रही है कि ये कारें उसके पास कैसे पहुंचीं और क्या वाहन मालिक भी ठगी के नेटवर्क का हिस्सा थे।
“सीनियर IAS” बनकर दिल्ली-नोएडा-बिहार तक फैलाया नेटवर्क
पुलिस जांच में पता चला कि सौरभ कई गाड़ियों पर “भारत सरकार” और “उत्तर प्रदेश शासन” लिखवाकर घूमता था। वह खुद को सीनियर IAS अधिकारी बताकर दिल्ली, नोएडा, बिहार और गोवा तक वीवीआईपी सुविधाएं लेता रहा।फर्जी पहचान के आधार पर उसने कई प्रशासनिक अधिकारियों, सरकारी ठेकेदारों और कारोबारियों को प्रभावित करके लंबे समय तक धोखाधड़ी की।उसका PA गौरव पांडेय भी गिरफ्तार किया जा चुका है और अब वह भी कोर्ट में दूसरी बार जमानत की मांग कर रहा है।








