दिल्ली ब्लास्ट मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। NIA सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन से आतंकी डॉ. उमर के 12 वीडियो समेत 70 से ज्यादा ब्रेनवॉश वीडियो बरामद हुए हैं। इन्हीं वीडियो को उसने 11 युवाओं को भेजा था, जिनमें से 7 कश्मीरी मूल के बताए जा रहे हैं और सभी का संबंध अल-फलाह यूनिवर्सिटी से मिला है। बाकी 4 युवा उत्तर प्रदेश, केरल और कर्नाटक के रहने वाले हैं।
जांच में पता चला कि आमिर रशीद अली, जिसने उमर नबी को I-20 कार उपलब्ध करवाई थी, खुद सुसाइड मिशन के लिए तैयार नहीं था। इसके बाद उमर ने उसे भी इसी तरह के कट्टरपंथी वीडियो भेजकर ब्रेनवॉश करने की कोशिश की। जांच एजेंसियों को शक है कि आतंकी डॉ. उमर एक पूरी फिदायीन टीम तैयार कर रहा था, जिसका टारगेट कई राज्यों के युवा थे।
दिल्ली ब्लास्ट से पहले पुलवामा गया था आतंकी उमर
10 नवंबर को दिल्ली में लाल किला के पास ट्रैफिक जाम के दौरान i20 कार में हुए धमाके से आसपास की कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचा था। इस मामले में सबूतों की कड़ी पुलवामा तक जाती है।हमले से करीब दो हफ्ते पहले आतंकी डॉ. उमर पुलवामा के कोइल गांव में अपने घर गया था। उसने अपने दो मोबाइल फोन में से एक फोन अपने भाई जहूर इलाही को सौंपकर कहा था कि अगर उसकी कोई खबर आए तो यह फोन पानी में फेंक देना।
इसी फोन से एक वीडियो मिला है, जिसमें उमर इस हमले को “शहादत का ऑपरेशन” बताने की कोशिश कर रहा है। जहूर ने जांच एजेंसियों को बताया कि उसने 9 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी से उमर के साथियों की गिरफ्तारी की खबर सुनते ही फोन घबराकर तालाब में फेंक दिया था।
मोबाइल फोन बरामद, डिजिटल सबूत NIA के पास
9 नवंबर को जब एजेंसियों ने उमर के मोबाइल तलाशे तो दोनों फोन बंद मिले।
एक फोन की आखिरी लोकेशन दिल्ली मिली
दूसरा फोन पुलवामा में था
बाद में तालाब से पानी में डूबा फोन बरामद किया गया। खराब होने के बावजूद एजेंसियों ने एक महत्वपूर्ण वीडियो रिकवर कर लिया। सभी डिजिटल साक्ष्य अब NIA के पास हैं।वीडियो में उमर टूटी-फूटी अंग्रेज़ी में यह दावा करता दिखा कि यह “सुसाइड अटैक नहीं, बल्कि मार्टर्डम ऑपरेशन” था। एजेंसियों ने इसे आतंकी प्रोपेगेंडा बताया है।








