दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों को हर दिन नए और चौंकाने वाले सुराग मिल रहे हैं।दो मुख्य संदिग्ध डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद अब टीम उस मकान मालिक तक पहुंची हैजिसने साजिश से जुड़े एक युवक को किराये पर कमरा दिया था।इलाके में “मद्रासी” नाम से पहचाने जाने वाले इस मकान मालिक ने कहा कि उन्हें अपने किरायेदार के बारे में किसी भी तरह की जानकारी नहीं थी।
मकान मालिक बोले — “बस 1200 रुपये में कमरा दिया, उसका असली इरादा नहीं पता था”
मकान मालिक के अनुसार—
युवक 13 सितंबर को कमरा देखने आया था
उसने खुद को डॉक्टर बताया
दो महीने का किराया 2400 रुपये देकर चला गया
उसके बाद न मुलाकात हुई, न फोन आया
कमरे में क्या सामान रखा गया—यह भी मकान मालिक को पता नहीं था
मद्रासी ने कहा— “मैं तो बस कमरा किराए पर देता हूं… कौन क्या करता है, कैसे पता चले?”
Delhi Blast का नेटवर्क: दो साल से चल रही थी खतरनाक प्लानिंग
जांच में सामने आया है कि दिल्ली ब्लास्ट अचानक नहीं, बल्कि पिछले दो साल से तैयार की जा रही एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। एजेंसियों को पता चला है कि:
मॉड्यूल ने लगभग 20 लाख रुपये कैश जमा किया
यह रकम IED सामग्री, अमोनियम नाइट्रेट और लॉजिस्टिक सपोर्ट में खर्च की गई
गुरुग्राम–नूंह से करीब 3 लाख रुपये में 20 क्विंटल NPK खाद खरीदी गई
इसे असली उद्देश्य छिपाने के लिए उर्वरक के रूप में लिया गया
NPK उर्वरक का उपयोग ही बाद में ब्लास्ट में किया गया।
Signal ऐप पर गुप्त चैट ग्रुप — 2 से 4 लोगों का नेटवर्क
एजेंसियों के अनुसार टेरर मॉड्यूल ने—
Signal ऐप पर एक छोटा निजी ग्रुप बनाया था
सभी लोकेशन, पैसे की अदायगी, सामान की खरीद और डिलीवरी
कोड वर्ड्स में साझा होती थीमैसेज भेजते ही ऑटो-डिलीट कर दिए जाते थे
नेटवर्क को छोटा रखा गया ताकि लीक होने का खतरा कम रहे
डायरी और नोटबुक ने खोल दी पूरी साजिश—25 संदिग्ध नाम मिले
संदिग्धों के कमरों और एक बंद पड़े ठिकाने से डायरी और नोटबुक बरामद की गई हैं। इनमें मिले अहम सुराग:
कई पन्नों में कोड वर्ड्स, तारीखें और लोकेशन संकेत
25 संभावित संपर्कों की लिस्ट
कई नाम जम्मू–कश्मीर और फरीदाबाद क्षेत्र से
ब्लास्ट में उपयोग होने वाली सामग्री की मात्रा और सोर्स
पुलिस के अनुसार ये डायरी पूरी साजिश को समझने की कुंजी हैं।
8–12 नवंबर की एंट्री — ब्लास्ट से पहले की पूरी तैयारी लिखी मिली
10 नवंबर को धमाका हुआ था और डायरी में 8 से 12 नवंबर के बीच की एंट्री सबसे अहम मानी जा रही हैं।इनमें संभवतः लिखे हैं:
वाहन के संकेत
रास्तों का जिक्र
तय समय
सामग्री के मूवमेंट का रिकॉर्ड
जांचकर्ता इन कोड्स को डिकोड करने में जुटे हैं।
मकान मालिक सदमे में — पड़ोसी बोले “सीधे-सादे इंसान हैं”
जैसे-जैसे जांच बढ़ी, मकान मालिक खुद सदमे में दिखे। पड़ोसी भी हैरान हैं। एक व्यक्ति बोला: “यह आदमी तो बिल्कुल सीधा-सादा है, किराएदार आते-जाते रहते हैं…कौन जानता है कि अंदर क्या चल रहा होता है?”
दिल्ली–NCR में और ठिकाने होने की आशंका
सीनियर अफसरों का मानना है कि यह धमाका पूरे मॉड्यूल का सिर्फ एक हिस्सा है। दो साल की तैयारी और इतना बड़ा लॉजिस्टिक सेटअप अकेले संभव नहीं है।
गांव और यूनिवर्सिटी में सन्नाटा, लोग सहमे—फॉरेंसिक टीम लगातार मौके पर
धौज गांव और अल-फला यूनिवर्सिटी क्षेत्र में माहौल तनावपूर्ण है। छात्रों और स्थानीय लोगों में डर साफ दिखाई दे रहा है। एक छात्र ने कहा—“सोचा भी नहीं था कि हमारे हॉस्टल के पास कोई इतना बड़ा ब्लास्ट प्लान कर रहा होगा।”








