Bihar Elections 2025: नीतीश कुमार की रणनीति ने बदले चुनावी समीकरण, NDA की शानदार वापसी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वो हुआ, जिसकी कल्पना विपक्ष ने बिल्कुल नहीं की थी।चुनाव से पहले नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र, सेहत और ‘पलटूराम’ वाले आरोप विपक्ष का सबसे बड़ा हथियार थे,लेकिन नतीजों ने दिखा दिया कि नीतीश कुमार आज भी बिहार की राजनीति का असली धुरी हैं।रुझानों में NDA दो-तिहाई बहुमत की ओर बढ़ रहा है —
243 में से 190+ सीटें NDA, जबकि महागठबंधन 50 से भी नीचे सिमटता दिख रहा है।JDU इस बार BJP से भी ज्यादा सीटें हासिल करती दिखाई दे रही है, जो नीतीश की रणनीति का बड़ा सबूत है।
विपक्ष का ‘पलटूराम’ अभियान फेल, नीतीश की रणनीति बनी गेमचेंजर
तेजस्वी यादव से लेकर जन सुराज के प्रशांत किशोर तक बहुतों ने चुनाव से पहले नीतीश कुमार पर उम्र, ऊर्जा और पिछले राजनीतिक फैसलों पर तंज़ कसा था।पर जैसे ही नीतीश मैदान में उतरे—तस्वीर बदलने लगी।महागठबंधन ने नौकरी, पलायन, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर वोटरों को जोड़ने की कोशिश की,लेकिन नीतीश कुमार ने 75 साल की उम्र में 90 से ज्यादा जनसभाएं,हेलीकॉप्टर और सड़क दोनों रास्तों से 1000+ किमी की यात्रा कर
स्पष्ट कर दिया—
“ना टायर्ड… ना रिटायर्ड… टाइगर अभी ज़िंदा है।”
NDA को मिला जबरदस्त फायदा—JDU सीटें दोगुनी, महागठबंधन बिखरा
2020 में JDU 43 सीटों पर सिमट गई थी, लेकिन इस बार JDU की सीटें 75 के पार जाती दिख रही हैं।एलजेपी, मांझी, RLSP—सबको साथ लेकर नीतीश की सोशल इंजीनियरिंग पूरी तरह सफल रही।
36% EBC वोट, गैर-यादव OBC और महिला वोटर्स—ये तीनों समूह बड़े पैमाने पर NDA के साथ खड़े दिखे।
महिलाओं का भरोसा—नीतीश की जीत का सबसे मजबूत स्तंभ
चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये की किश्त सीधे भेजी। 1.51 करोड़ से अधिक महिलाओं को इस योजना का लाभ मिला।बिहार देश का पहला राज्य है, जहाँ 31 लाख जीविका दीदियाँ ‘लखपति’ हैं।महिला वोट—जो अब 40% से अधिक “10 हज़ारी” वर्ग में हैं— उन्होने इस बार भी नीतीश पर अटूट भरोसा दिखाया।
चिराग पासवान–कुशवाहा फैक्टर: नीतीश ने बना लिया ‘अजेय गठबंधन’
2020 में चिराग पासवान और RLSP अलग लड़ने से JDU को 30 सीटों का नुकसान हुआ था।लेकिन इस बार नीतीश ने दोनों को NDA में जोड़े रखा। नतीजा—
NDA की मतदाताओं में एकजुटता
वोटों का सही तरीके से ट्रांसफर
BJP + JDU + LJP + HAM + RLSP = मजबूत सामाजिक समीकरण
लालू–तेजस्वी गठबंधन परिवारवाद से बाहर कोर वोट नहीं बढ़ा पाए और NDA को राज्यव्यापी बढ़त मिल गई।
प्रशांत किशोर की रणनीति ध्वस्त—जन सुराज सिर्फ विपक्ष का वोट काट पाया
तीन साल के लंबे जन संवाद अभियान के बावजूदजन सुराज का प्रभाव सीमित रहा। उनकी सक्रियता ने सबसे ज्यादा नुकसान महागठबंधन को पहुँचाया, क्योंकि युवा वोट और OBC वोट में सेंध पड़ गई।जिसका पूरा लाभ NDA को मिला।
‘किंगमेकर’ नहीं—‘किंग’ बनकर लौटे नीतीश कुमार
2005 से बिहार की सत्ता नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द घूमती रही है।इस बार भी नतीजों ने साबित किया कि—
➡ बिहार में सत्ता बिना नीतीश के नहीं बनती
➡ JDU की सीटों में ऐतिहासिक उछाल
➡ NDA में नीतीश की केंद्रीय भूमिका
नीतीश कुमार एक बार फिर NDA के सर्वमान्य नेता बनकर उभरे हैं,और भविष्य में भी उनकी राजनीतिक ताकत कोचुनौती देना आसान नहीं होगा।








