UP Politics: बिहार चुनाव में योगी-केशव vs अखिलेश की सियासी शह-मात, यूपी का समीकरण दांव पर
बिहार विधानसभा चुनाव अब केवल बिहार तक सीमित नहीं रह गया है — यह उत्तर प्रदेश की राजनीति की नई सियासी बिसात भी तय कर रहा है।सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से लेकरसपा प्रमुख अखिलेश यादव तक — सभी बिहार में मोर्चा संभाले हुए हैं।एनडीए और महागठबंधन के इस जंग में अब यूपी की सियासी रणनीति भी दांव पर है।
बिहार में बीजेपी की पूरी फौज मैदान में
बिहार चुनाव में यूपी बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।योगी आदित्यनाथ हर दिन दो से तीन जनसभाएं कर रहे हैं, जबकि केशव प्रसाद मौर्य बिहार में लगातार कैंप कर रहे हैं।बीजेपी के लगभग चार दर्जन नेता सीमावर्ती जिलों मेंएनडीए के लिए प्रचार कर रहे हैं।पूर्वांचल से लेकर सीमावर्ती बिहार सीटों तक बीजेपी की रणनीति स्पष्ट है —जातीय समीकरण और हिंदुत्व कार्ड दोनों को साथ लेकर चलना।
अखिलेश यादव भी मैदान में, सपा का महागठबंधन समर्थन
दूसरी ओर, अखिलेश यादव भी बिहार में महागठबंधन के लिएसपा नेताओं की टीम के साथ प्रचार में जुटे हैं।सपा बिहार में कोई सीट नहीं लड़ रही,लेकिन महागठबंधन को समर्थन देने के लिएअफजाल अंसारी, ओमप्रकाश सिंह जैसे नेताविभिन्न समुदायों में सक्रिय हैं।अखिलेश ने कहा —“बीजेपी को अवध में हराया है, अब मगध में हराएंगे।”
उनकी हर रैली में पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूलाऔर खेसारी लाल यादव जैसे स्थानीय चेहरे दिखते हैं,जो सपा के पूर्वांचली वोट बैंक को साधने की रणनीति है।
यूपी-बिहार बॉर्डर सीटों पर फोकस
बिहार की तीन दर्जन से ज्यादा सीटें यूपी की सीमा से सटी हैं —महाराजगंज, बलिया, देवरिया, गाजीपुर, चंदौली, कुशीनगर और सोनभद्र जैसे जिलेसारण, सीवान, भोजपुर, कैमूर और बक्सर से जुड़े हैं।इन इलाकों में भोजपुरी बोली, जातीय समीकरण और सामाजिक ताना-बाना लगभग समान है।इसलिए इन सीटों पर जो माहौल बनेगा,उसका असर 2025 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा।
सीएम योगी बनाम अखिलेश की जुबानी जंग
बिहार में प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव आमने-सामने आ गए हैं।योगी ने कहा —“इंडिया गठबंधन के तीन बंदर हैं — पप्पू, टप्पू और अप्पू —जो न सच बोल सकते हैं, न देख सकते हैं, न सुन सकते हैं।”वहीं, अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए कहा —“योगी सरकार नाम बदलने में माहिर है,अब बिहार में जनता बदलाव करेगी।”केशव प्रसाद मौर्य ने भी कविता के रूप में तंज कसा —“यूपी की पार्टी, बिहार में प्रचार, न उम्मीदवार न जमीन, फिर भी अहंकार।”







