UP News: पूर्वांचल के 10 जिलों में धर्मांतरण का नया ट्रेंड, मिशनरियों ने बदली रणनीति; आशा कार्यकर्ता तक जुड़ीं
जौनपुर: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के 10 जिलों में ईसाई मिशनरियों ने धर्मांतरण का तरीका बदल दिया है।अब धर्म परिवर्तन करने वालों के सरनेम नहीं बदले जा रहे हैं।इस बदलाव की दो बड़ी वजहें सामने आई हैं —
1️⃣ पहली, धर्म परिवर्तन करने वाले लोग अब उसी समुदाय के बीच रहकर काम कर रहे हैं।
2️⃣ दूसरी, सरकारी दस्तावेज़ों में बदलाव की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे सरकारी योजनाओं, SC-ST-OBC आरक्षण और लाभ पहले की तरह मिलते रहते हैं।
Asha Workers भी धर्मांतरण अभियान में सक्रिय
मिशनरियों ने अब आशा कार्यकर्ताओं को धर्म परिवर्तन कराने में शामिल कर लिया है।जौनपुर की एक आशा कार्यकर्ता ने धर्म परिवर्तन कर लिया है और अब ऑनलाइन चंगाई सभा के ज़रिए लोगों को जोड़ रही है।वह कहती है —“हमारी पहचान वही है, बस एक लॉकेट पहन लिया है जो कपड़े के अंदर रहता है। नाम या सरनेम बदलने की ज़रूरत नहीं, दिल से प्रभु को मानो।”
अब मोबाइल से चल रही हैं चंगाई सभाएं
पुलिस की सख्ती के बाद अब चंगाई सभा का तरीका बदल गया है।मिशनरीज ने ऑनलाइन प्रार्थना सभाएं शुरू की हैं।हर रविवार और शुक्रवार को मुंबई से लाइव प्रार्थना होती है, जिसमें नए लोगों को जोड़ा जाता है।चंडीगढ़ के पास्टर बजिंदर सिंह की सभाओं में भी पूर्वांचल के लोग शामिल हो रहे हैं।
पुलिस की सख्ती के बाद बदल गया पैटर्न
जौनपुर में बढ़ी पुलिस सख्ती के कारण कई समूह अब वाराणसी के भुल्लनपुर क्षेत्र में जाकर सभाएं करते हैं।पिछले हफ्ते लगभग 300 लोग एक सभा में शामिल हुए।अब लोग घरों में या ऑनलाइन माध्यम से प्रार्थना करते हैं ताकि प्रशासन को भनक न लगे।
जांच में खुलासा हुआ है कि मिशनरियों का अब मुख्य टारगेट फर्स्ट जनरेशन है —यानी वे गरीब और जनजातीय परिवारों के युवा बच्चों को निशाना बना रहे हैं।शादी, शिक्षा और इलाज के नाम पर आर्थिक मदद दी जाती है, जिससे परिवार की सहानुभूति हासिल की जा सके।प्रत्येक धर्म परिवर्तन पर 25,000 से 50,000 रुपये तक का कमीशन तय होता है।








