लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक अनोखी और पर्यावरण अनुकूल योजना शुरू की है। राज्य सरकार अब किसानों से पराली लेकर बदले में गोबर की खाद देगी। इस योजना का उद्देश्य पराली जलाने की घटनाओं को रोकना, प्रदूषण घटाना और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना है।
पशुपालन विभाग इस योजना का संचालन करेगा। विभाग किसानों से पराली गोशालाओं में एकत्र करेगा, जहां इसका उपयोग पशुओं के बिछावन और आहार के रूप में किया जाएगा। इसके बदले किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली गोबर खाद दी जाएगी, जो खेतों की उर्वरता और पैदावार दोनों में सुधार करेगी।
मंत्री ने दिए सख्त निर्देश
पशुधन मंत्री ने लखनऊ में हुई समीक्षा बैठक में कहा कि “पराली जलाने पर जुर्माना लगाने से बेहतर है किसानों को लाभकारी विकल्प देना।”उन्होंने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसानों को पराली के लाभ और इस योजना की उपयोगिता के बारे में जागरूक करें।मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन जिलों में भूसा टेंडर लंबित हैं, वहां के मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों को चेतावनी दी गई है। उन्होंने कहा कि “जो अधिकारी योजना में लापरवाही करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
पराली से बनेगी खाद, घटेगा प्रदूषण
सरकार के अनुसार, किसान अपने खेतों से पराली एकत्र कर नजदीकी गोशालाओं में दे सकेंगे।वहां इसका उपयोग पशुओं के लिए बिछावन और आहार के रूप में किया जाएगा। बदले में मिलने वाली गोबर खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएगी और रासायनिक खाद पर निर्भरता घटाएगी।इस पहल से पराली जलाने से होने वाला वायु प्रदूषण कम होगा, साथ ही किसानों को जैविक खाद मुफ्त या रियायती दरों पर मिल सकेगी।
गो काष्ठ उत्पादन और नई तकनीकों को बढ़ावा
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि गोशालाओं में “गो काष्ठ-मोक्ष दंडिका” उत्पादन मशीनें सीएसआर फंड से लगाई जाएंगी।इसके अलावा, दुग्ध समितियों को सक्रिय करने और किसानों के दूध भुगतान को समय पर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।विभाग जल्द ही किसानों के लिए अन्य राज्यों में प्रशिक्षण और भ्रमण कार्यक्रम आयोजित करेगा ताकि वे आधुनिक पशुपालन तकनीकों को अपनाकर अधिक लाभ कमा सकें।








