UP ऊर्जा विभाग ने बदले नियम: बिजली कर्मियों पर कार्रवाई अब 30 दिन में, जांच प्रक्रिया सरल और समयबद्ध
ऊर्जा विभाग ने बिजली निगम के अभियंताओं और कर्मचारियों के खिलाफ होने वाली विभागीय कार्रवाई को अधिक पारदर्शी, तेज और सरल बनाने के लिए नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। नई व्यवस्था के तहत अब किसी भी मामले की जांच अधिकतम 30 दिनों में पूरी की जाएगी।
पहले जहां जांच समिति की जरूरत होती थी, अब अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक और नियुक्ति अधिकारी सीधे जांच अधिकारी नियुक्त कर सकेंगे। इससे जांच प्रक्रिया तेज होगी और अनावश्यक देरी खत्म होगी।
ऊर्जा विभाग ने क्यों किए बदलाव?
पॉवर कॉर्पोरेशन के निदेशक मंडल ने विभागीय कार्यवाही में लगने वाले लंबे समय और जटिल प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए नियमों में संशोधन किया है।
मुख्य बदलाव:
जांच प्रक्रिया सरल और समयबद्ध
प्रकरणों का निस्तारण कम समय में
गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में जरूरत के अनुसार जांच समिति बनाने का अधिकार
कार्रवाई को पारदर्शी, त्वरित और परिणाममूलक बनाना
ऊर्जा विभाग का कहना है कि नई व्यवस्था से शिकायतों का निपटारा तेजी से होगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई अधिक प्रभावी हो सकेगी।
अब किन अधिकारियों को बनाया जा सकेगा जांच अधिकारी?
नई व्यवस्था में पद स्तर के अनुसार जांच अधिकारी भी तय किए गए हैं:
TG-2 और अन्य कर्मी (नियुक्ति अधिकारी: अधिशासी अभियंता)
जांच अधिकारी: अधिशासी अभियंता या इससे उच्च पद
सहायक अभियंता व अवर अभियंता (JE/AE) स्तर
जांच अधिकारी: अधीक्षण अभियंता या उच्च स्तर के अधिकारी
अधिशासी अभियंता और उससे ऊपर के अधिकारी
जांच अधिकारी: मुख्य अभियंता या उससे उच्च पदाधिकारी







