लखनऊ ग्रामीण महिलाओं ने बनाए 30 हजार तिरंगे, 9 दिन की मेहनत से हर घर फहराया राष्ट्रीय गौरव
लखनऊ मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर ग्राम अनवरा कला की महिलाओं ने इस स्वतंत्रता दिवस पर इतिहास रच दिया। ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी इन महिलाओं ने 9 दिन में 30 हजार तिरंगे तैयार किए, जिन्हें प्रशासन ने “हर घर तिरंगा” अभियान के तहत लोगों में बांटा। 15 अगस्त की सुबह इन तिरंगों ने पूरे क्षेत्र को देशभक्ति के रंग में रंग दिया।
रसोई से सिलाई मशीन तक का सफर
3 साल पहले तक ये महिलाएं सिर्फ हाउसवाइफ थीं, जिनका दिन रसोई और खेत-खलिहान तक सीमित था। स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद अब ये महिलाएं तिरंगे, अचार-पापड़, सजावटी दीये और त्योहारों का सामान बनाकर महीने में 5-8 हजार रुपए तक कमा रही हैं।
कैसे बने 30 हजार तिरंगे
कपड़े की खरीद: थोक भाव में हरा, सफेद और केसरिया कपड़ा लिया गया।
कटिंग और सिलाई: तीनों रंग बराबर माप में काटकर सिलाई मशीन से जोड़े गए।
अशोक चक्र: सफेद पट्टी पर नीले रंग का अशोक चक्र प्रिंट या सिलाई से लगाया गया।
गुणवत्ता जांच: हर झंडे की माप, रंग और सिलाई मानक के अनुरूप रखी गई।
औसतन एक झंडा बनाने में 1-2 मिनट लगे और हर महिला रोज 120-150 तिरंगे तैयार करती थी।
महिलाओं की सफलता की कहानी
शिव रजनी: “यह सिर्फ कमाई नहीं, देश सेवा का अवसर है।”
मुस्कान: रोजाना 150 झंडे बनाकर महीने में 7 हजार रुपए कमाती हैं।
रीना (55 वर्ष): “इस उम्र में भी रोजगार मिला और सम्मान भी।”
स्वतंत्रता दिवस पर गर्व का क्षण
15 अगस्त को जब तिरंगा देशभर में लहराया, तब अनवरा कला की इन महिलाओं की मेहनत और आत्मनिर्भरता की उड़ान भी उसके साथ थी। ये महिलाएं साबित कर रही हैं कि बदलाव गांव से भी शुरू हो सकता है, जहां कभी चूल्हा-चक्की संभालने वाले हाथ अब राष्ट्र के सम्मान का प्रतीक तिरंगा सजा रहे हैं।