पंकज चौधरी के परिवारवाद आरोप पर सियासी बहस: विपक्षी प्रदेश अध्यक्षों की पृष्ठभूमि क्या है?
उत्तर प्रदेश BJP प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। हाल ही में गाजियाबाद दौरे के दौरान उन्होंने विपक्षी दलों के प्रदेश अध्यक्षों पर परिवारवाद का आरोप लगाया। उनके अनुसार, इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों में नेतृत्व कुछ चुनिंदा परिवारों तक सीमित है और आम कार्यकर्ता को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिलता।
लेकिन क्या यह आरोप सही है? यूपी और अन्य राज्यों के विपक्षी दलों के वर्तमान प्रदेश अध्यक्षों की पृष्ठभूमि इसे चुनौती देती है।
विपक्षी दलों के प्रदेश अध्यक्ष परिवार से नहीं जुड़े
सपा – श्यामलाल पाल
श्यामलाल पाल प्रयागराज के प्रतापपुर क्षेत्र के मोहिउद्दीनपुर गांव से आते हैं।
परिवार किसान वर्ग से है।
राजनीति की शुरुआत ‘अपना दल’ से हुई और बाद में सपा में शामिल हुए।
बसपा – विश्वनाथ पाल
विश्वनाथ पाल अयोध्या जिले के अनंतपुर गांव के साधारण परिवार से हैं।
उन्होंने 90 के दशक में बसपा की विचारधारा से प्रभावित होकर राजनीति शुरू की।
प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले पार्टी में सेक्टर अध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष और मंडल सचिव जैसे पदों पर रहे।
कांग्रेस – अजय राय
अजय राय गाजीपुर जिले के किसान परिवार से हैं और बाद में वाराणसी में बसे।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत एबीवीपी से हुई, बाद में कांग्रेस में शामिल हुए।
2023 से यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष।
आरजेडी – मंगनीलाल मंडल
बिहार में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष।
अति पिछड़ी जाति से आते हैं।
विपक्ष ने पंकज चौधरी के आरोप को खारिज किया
सपा प्रवक्ता मनोज काका ने कहा कि पंकज चौधरी या तो विवेकहीन बयान दे रहे हैं या बीजेपी के आईटी सेल के संदेशों को पढ़कर निष्कर्ष निकाल रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सपा, कांग्रेस, आरजेडी और बसपा में प्रदेश अध्यक्ष किसी राजनीतिक परिवार से नहीं आते, बल्कि आम कार्यकर्ताओं और कैडर नेताओं में से चुने गए हैं।
पंकज चौधरी का दावा और सियासी प्रतिक्रिया
पंकज चौधरी ने बीजेपी की कार्यकर्ता-आधारित राजनीति का उदाहरण देते हुए कहा कि सामान्य कार्यकर्ता भी शीर्ष पद तक पहुंच सकता है। उन्होंने खुद को कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि उन्हें सांसद और अब प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।








