BSP Parliament Zero: 36 साल में पहली बार संसद से बाहर होगी बहुजन समाज पार्टी
बहुजन समाज पार्टी का सियासी आधार लगातार सिमटता जा रहा है। विधानसभा से लेकर संसद तक पार्टी की मौजूदगी कमजोर होती जा रही है। नए साल के साथ ही बसपा के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब लोकसभा और राज्यसभा—दोनों सदनों में पार्टी का कोई भी प्रतिनिधि नहीं रहेगा।
लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी BSP बाहर
2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता नहीं खुल सका। पार्टी का एकमात्र संसदीय प्रतिनिधित्व फिलहाल राज्यसभा सांसद रामजी गौतम के जरिए है। रामजी गौतम का कार्यकाल नवंबर 2026 में समाप्त हो जाएगा। इसके बाद संसद में बसपा का प्रतिनिधित्व पूरी तरह शून्य हो जाएगा।
यह बसपा के 36 साल के राजनीतिक इतिहास में पहली बार होगा, जब संसद के दोनों सदनों में पार्टी की आवाज नहीं सुनाई देगी।
2026 में खत्म होगा रामजी गौतम का कार्यकाल
उत्तर प्रदेश से चुने गए 10 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 25 नवंबर 2026 को समाप्त हो रहा है। इनमें
बीजेपी के 8
समाजवादी पार्टी का 1
बसपा का 1 सांसद (रामजी गौतम)
शामिल हैं। रामजी गौतम 2019 में राज्यसभा पहुंचे थे, लेकिन मौजूदा विधानसभा संख्या बल के कारण बसपा के लिए दोबारा राज्यसभा में पहुंचना फिलहाल असंभव नजर आ रहा है।
UP विधानसभा गणित ने बढ़ाई मुश्किल
उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं, जिनमें फिलहाल
बीजेपी के 258
सपा के 103
अन्य दलों के सीमित विधायक
बसपा का सिर्फ 1 विधायक है।
राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए कम से कम 37 विधायकों का समर्थन जरूरी होता है। इस गणित के लिहाज से बसपा न तो राज्यसभा सीट जीत सकती है और न ही नामांकन दाखिल करने की स्थिति में है।
2027 विधानसभा चुनाव बना आखिरी उम्मीद
बसपा के लिए संसद में वापसी का एकमात्र रास्ता अब 2027 का यूपी विधानसभा चुनाव है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, अगर बसपा 2027 में कम से कम 40 सीटें नहीं जीतती, तो पार्टी 2029 तक संसद से बाहर ही रहेगी।
UP में ही कमजोर हुई BSP की सबसे मजबूत जमीन
उत्तर प्रदेश कभी बसपा की सबसे मजबूत राजनीतिक जमीन रहा है।
मायावती चार बार मुख्यमंत्री रहीं
1990 और 2000 के दशक में बसपा का दबदबा रहा
लेकिन मौजूदा स्थिति में
यूपी विधानसभा में 1 विधायक
विधान परिषद में शून्य सदस्य
लोकसभा में शून्य सांसद हैं।
2024 में बसपा विधान परिषद से भी बाहर हो गई, जब पार्टी के अंतिम एमएलसी का कार्यकाल समाप्त हो गया।
पहली बार संसद में पूरी तरह शून्य
बसपा की स्थापना 1984 में हुई थी और 1989 से पार्टी का किसी न किसी सदन में प्रतिनिधित्व बना रहा।
1989 में मायावती पहली बार लोकसभा पहुंचीं
बाद में राज्यसभा में भी बसपा की मौजूदगी रही
लेकिन नवंबर 2026 में पहली बार ऐसा होगा, जब संसद में बसपा का कोई भी सदस्य नहीं होगा।
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खतरे में
2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा को सिर्फ 2.04% वोट मिले।इससे पहले 2019 में यह आंकड़ा 3.66% था। वोट शेयर में इस गिरावट के कारण बसपा के राष्ट्रीय पार्टी दर्जे पर भी संकट गहराने लगा है।राष्ट्रीय पार्टी बने रहने के तीन मानकों में से बसपा फिलहाल किसी को भी मजबूती से पूरा नहीं कर पा रही है।








