
नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और उन्हें दूध, फूल, हल्दी आदि अर्पित किए जाते हैं। परंपरा के अनुसार इस दिन तवा या लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं किया जाता। आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक कारण।
धार्मिक मान्यताएं
नाग देवता को क्रोधित न करें
इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि तवे या लोहे के बर्तन पर भोजन बनाना अपवित्रता दर्शाता है और इससे नाग देवता क्रोधित हो सकते हैं।
तवा – लोहे का बना होता है
लोहे को राहु और शनि ग्रह से जोड़ा जाता है। नाग पंचमी पर लोहे से बनी वस्तुओं का उपयोग वर्जित होता है, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो सकती है।
सात्विकता और पवित्रता
इस दिन सात्विक भोजन किया जाता है। तवे पर आमतौर पर तला-भुना और तीखा खाना बनता है, जो इस पावन अवसर के अनुरूप नहीं माना जाता।
वैज्ञानिक कारण
मानसून और स्वास्थ्य
नाग पंचमी का समय वर्षा ऋतु में आता है। इस मौसम में लोहे के बर्तनों में बना और बार-बार गर्म किया गया खाना जल्दी खराब होता है, जिससे फूड पॉइजनिंग हो सकती है।
सुरक्षा कारण
गांवों और छोटे कस्बों में इस दिन मिट्टी या केले के पत्तों पर भोजन पकाना या परोसना सामान्य है। इससे पर्यावरण की रक्षा होती है और प्रदूषण भी कम होता है।