NAAC बिना कई यूनिवर्सिटी चल रहीं, अल-फलाह नहीं अकेली: दिल्ली धमाकों के बाद जांच तेज, फर्जी एक्रेडिटेशन पर बड़ा सवाल
दिल्ली धमाकों के बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। NIA की जांच में खुलासा हुआ कि यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के भेष में आतंकियों ने फैकल्टी के रूप में काम किया। जैसे ही यह मामला सामने आया, NAAC (National Assessment and Accreditation Council) भी सक्रिय हो गया।
NAAC ने अल-फलाह को एक ऐसे संस्थान के रूप में चिन्हित किया जो खुद को A ग्रेड यूनिवर्सिटी बताता है, जबकि उसका एक्रेडिटेशन 2018 में ही खत्म हो गया था। यह मुद्दा भारत में फर्जी या एक्सपायर्ड NAAC मान्यता के साथ चल रही यूनिवर्सिटीज़ की व्यापक समस्या को उजागर करता है।
अल-फलाह अकेली नहीं—कई यूनिवर्सिटी बिना NAAC एक्रेडिटेशन के चल रहीं
सरकारी डेटा के अनुसार भारत में सैकड़ों यूनिवर्सिटी और हजारों कॉलेज बिना मान्य NAAC ग्रेड के संचालित हो रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय के AISHE सर्वे और UGC के आंकड़े बताते हैं:
1,113 यूनिवर्सिटीज़ में से सिर्फ 418 के पास NAAC एक्रेडिटेशन है
43,796 कॉलेजों में से केवल 9,062 कॉलेज ही NAAC मान्यता प्राप्त हैं
यानी देश में बड़ी संख्या में संस्थान बिना मान्यता के ही छात्रों को डिग्री दे रहे हैं।
NAAC की चेतावनी—झूठा दावा किया तो एक्रेडिटेशन वापस हो जाएगा
अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई करते हुए NAAC ने ‘Cautionary Note’ जारी किया। इसमें कहा गया:
यदि कोई संस्थान गलत या भ्रामक फैक्ट्स देकर जनता और छात्रों को गुमराह करता है
या अवैध रूप से A-ग्रेड या मान्यता का दावा करता है
तो NAAC एक्रेडिटेशन वापस लेने तक की कार्रवाई कर सकता है
NAAC की यह कार्रवाई दुर्लभ है, क्योंकि संस्थानों को इस तरह पब्लिकली फ्लैग किया जाना बहुत कम होता है।
झूठे NAAC एक्रेडिटेशन का दावा—कोई पब्लिक लिस्ट नहीं
NAAC ने अब तक फर्जी एक्रेडिटेशन दावों पर पकड़े गए संस्थानों की कोई आधिकारिक ब्लैकलिस्ट सार्वजनिक नहीं की है। मीडिया खोज से कुछ ही केस सामने आते हैं। यह पारदर्शिता की कमी छात्रों और अभिभावकों के लिए सबसे बड़ा जोखिम है—वे असली और नकली मान्यता का फर्क आसानी से नहीं जान सकते।
शिकायत मिलने पर ही होती है कार्रवाई, सिस्टम में प्रो-एक्टिव मॉनिटरिंग नहीं
NAAC ने स्वीकार किया है कि कार्रवाई प्रायः:
शिकायत
मीडिया एक्सपोज़र
FIR
के बाद ही होती है। अभी तक कोई प्रो-एक्टिव मॉनिटरिंग सिस्टम मौजूद नहीं है।
NAAC के डायरेक्टर प्रोफेसर गणेशन कन्नाबिरन ने कहा: “वैलिडिटी खत्म होने पर संस्थान को खुद ही पुराना डेटा हटाना चाहिए। गलत जानकारी देने पर हम तुरंत कार्रवाई करते हैं—लेकिन कई संस्थान ब्रॉशर में गलत जानकारी देकर छात्रों को गुमराह करते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि NAAC को अल-फलाह के एक्रेडिटेशन खत्म होने की जानकारी पहले से नहीं थी, क्योंकि यह रिपोर्ट करना संस्थान की जिम्मेदारी थी।
NAAC सिस्टम में खामियां—KL यूनिवर्सिटी रिश्वत कांड ने किया उजागर
फर्जी एक्रेडिटेशन सिर्फ एक पहलू है। 2025 में सामने आए NAAC रिश्वत कांड में CBI ने:
KL यूनिवर्सिटी के NAAC असेसर
कई अधिकारी
और विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया। बाद में NAAC ने KL यूनिवर्सिटी पर 5 साल का बैन लगाया।
इस घटना ने NAAC के peer-review सिस्टम की कमजोरी, भ्रष्टाचार की आशंका और मूल्यांकन मानकों की असंगतियों को उजागर किया।








