
मनोज पांडेय शहीद ने कहा था— अगर खुद को साबित करने से पहले मौत आ गई, तो मैं मौत को भी मात दे दूंगा। लखनऊ शहीद का यह वादा देश की सरहद पर निभ गया। सिर्फ 24 साल की उम्र में उन्होंने जो जज़्बा दिखाया, वो साबित करता है कि वे केवल एक बेटे नहीं, बल्कि पूरे देश के बेटे थे।
मनोज पांडेय शहीद के पिता गोपीचंद पांडे की आवाज आज भी 26 साल बाद भर्रा जाती है। लखनऊ शहीद मनोज के बलिदान को याद करते हुए उनकी आंखों में नमी और चेहरे पर गर्व अब भी साफ झलकता है।
वो कहते हैं— ‘मनोज ने मुझसे कहा था, अगर खुद को साबित करने से पहले मौत आ गई, तो मैं मौत को भी मात दे दूंगा।’ आज मनोज पांडेय शहीद का वह वादा पूरे देश के लिए गर्व की मिसाल बन चुका है।
जब बेटे ने कहा- मुझे परमवीर चक्र जीतना है, तब नहीं सोचा था कि वो वाकई अपने शब्दों को सच कर दिखाएगा। लखनऊ शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपीचंद पांडे आज भी उस दिन को याद करते हैं जब बेटे ने आंखों में जुनून के साथ यह सपना साझा किया था। मनोज पांडेय शहीद हुए, लेकिन उनकी वीरता ने उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा। देश ने उन्हें नायक कहा, लेकिन पिता आज भी उन्हें मुस्कुराते हुए ‘मेरा बेटा’ कहते हैं। मनोज की उम्र भले ही सिर्फ 24 साल थी, लेकिन उनका जज्बा उन्हें अमर बना गया।