लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) के निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बीच निर्माण अधीक्षक प्रो. डीके सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के मुताबिक, इस्तीफे का कारण निजी बताया गया है, लेकिन विभाग में चल रही जांच और भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए दबाव में यह कदम उठाए जाने की बात सामने आ रही है।
विश्वविद्यालय के निर्माण विभाग पर आरोप है कि बाजार में ₹8 प्रति ईंट की दर से मिलने वाली ईंटों को ₹240 प्रति ईंट की दर से खरीदा गया। इसके अलावा बिजली विभाग में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं — जहाँ ₹390 प्रति मीटर की केबल को ₹931 प्रति मीटर की दर से खरीदा गया।
इन आरोपों के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने आंतरिक जांच शुरू की। सूत्रों का कहना है कि जांच में कई अनियमितताएँ सामने आने के बाद अधीक्षक से इस्तीफा देने के लिए कहा गया। हालाँकि, आधिकारिक रूप से विश्वविद्यालय ने इसे “निजी कारण” बताया है।
इस्तीफे के बाद खाली हुए निर्माण अधीक्षक पद की जिम्मेदारी प्राच्य संस्कृति विभाग के शिक्षक डॉ. श्यामलेश कुमार तिवारी को सौंपी गई है। इस संबंध में कुलसचिव डॉ. भावना मिश्रा ने आदेश जारी कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ कार्यों का भुगतान बिना काम हुए ही कर दिया गया था। निविदा में सीसी रोड और 200 वर्गफीट कमरे के निर्माण का उल्लेख था, लेकिन स्थल निरीक्षण में पाया गया कि ये कार्य कभी हुए ही नहीं, फिर भी उनका भुगतान कर दिया गया।
LU में यह पहला मौका नहीं है जब निर्माण कार्यों को लेकर सवाल उठे हों। इससे पहले भी निर्माण विभाग पर PWD नियमों की अनदेखी और अधिक मूल्य पर खरीदारी के आरोप लग चुके हैं।
फिलहाल विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं। छात्रों और शिक्षकों का कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय की साख बनाए रखने के लिए दोषियों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।
 
								 
															 
															 
															
 
															











 
											




