लखनऊ में भाकियू की महापंचायत: स्मार्ट मीटर, सीड कानून और जमीन विवाद पर किसानों का हल्ला बोल; टिकैत बोले—UP में भी होगा बड़ा संघर्ष
लखनऊ के बख्शी का तालाब में भारतीय किसान यूनियन ने स्मार्ट मीटर, जमीन विवाद, नए कृषि कानून और किसानों की बढ़ती समस्याओं के विरोध में विशाल महापंचायत आयोजित की। इस पंचायत में हजारों किसान दूर-दूर से पहुंचकर जुटे। महापंचायत में किसानों ने अपनी समस्याएं खुलकर सामने रखीं, वहीं नेतृत्व ने सरकार के खिलाफ बड़ा संदेश दिया।
टिकैत का तीखा बयान—“किसानों की जमीन पर बड़ा प्लान, यूपी में भी राजस्थान जैसा संघर्ष होगा”
महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि सरकार का बड़ा प्लान किसानों की जमीन खरीदने से जुड़ा है। उन्होंने कहा—“दोपहर में फसल नहीं बिकती, लेकिन रात में जमीन बिक जाएगी। यह वही षडयंत्र है जो किसानों को उनकी ही जमीन से बेदखल करने के लिए किया जा रहा है। राजस्थान जैसा संघर्ष यूपी में भी होगा, किसान तैयार रहें।”टिकैत ने यह भी दावा किया कि सरकार जल्द ही 3–4 नए कानून लेकर आ रही है। इनमें से एक सीड कानून किसानों के लिए बेहद खतरनाक बताया गया।
उनके अनुसार:
सीड लॉ किसानों को बीज और फसल चयन में बंधक बना देगा
बिजली संशोधन बिल (Electricity Amendment Bill) से किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा
बनने वाले नए कानूनों के खिलाफ आंदोलन अनिवार्य हो जाएगा
“आंदोलन से ही देश बचेगा”—यह बात उन्होंने मंच से दोहराई
किसानों की समस्याओं की बौछार—जमीन कब्जे से लेकर वन विभाग के विवाद तक
महापंचायत में आए किसानों ने मंच पर अपनी समस्याएं लिखकर दीं, जिनमें प्रमुख मुद्दे रहे:
लेखपाल द्वारा किसानों की जमीन अपने नाम दर्ज करने का आरोप
वन विभाग द्वारा घर और जमीन कब्जाने की शिकायत
जमीन बचाने के लिए कई किसानों ने आत्महत्या तक की चेतावनी दी
स्मार्ट मीटर और बिजली बिलों के विरोध की आवाजें भी तेज रहीं
किसानों ने कहा कि प्रशासन उनकी समस्याओं पर सुनवाई नहीं कर रहा, जिससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
महापंचायत में महिलाओं की बड़ी भागीदारी—सबसे आगे बैठाया गया, नारेबाजी भी की
इस महापंचायत की खास बात रही महिलाओं की बड़ी सहभागिता।
महिलाएं दूर-दूर से पहुंचीं
उन्हें सबसे आगे बैठाकर सम्मान दिया गया
कई ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारे लगाए
किसानों ने आत्मनिर्भरता दिखाते हुए पूड़ी-सब्जी बनाकर सभी को भोजन कराया
महापंचायत शुरू होने के बाद भी किसानों का आना लगातार जारी रहा, जिससे कार्यक्रम का प्रभाव और व्यापक होता दिखा।








