लखनऊ हाईकोर्ट में यूपी के सरकारी स्कूलों के मर्जर आदेश पर गुरुवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की डबल बेंच ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि स्कूल मर्जर आदेश से बच्चों की पढ़ाई और सुरक्षा प्रभावित होगी। उन्होंने दलील दी कि छोटे बच्चों को 3-5 किमी दूर जाना पड़ेगा, जिससे RTE एक्ट का उल्लंघन हो रहा है।
लखनऊ हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि 1 किमी से कम दूरी वाले स्कूलों का मर्जर न हो और 50 से अधिक विद्यार्थियों वाले स्कूलों को भी इस आदेश से बाहर रखा जाए। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि स्कूल मर्जर आदेश से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड पेश किया जाए। अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी।
सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि कई स्कूलों में नामांकन बेहद कम है और शिक्षक अनुपात असमान है। इसलिए स्कूल मर्जर आदेश से संसाधनों का बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। बंद होने वाले स्कूलों को पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र और लाइब्रेरी में बदलने की तैयारी भी है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून 2025 को आदेश जारी किया था कि 50 से कम छात्रों वाले स्कूलों का पास के प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय किया जाए। इस पर कई बच्चों और अभिभावकों ने आपत्ति जताई और याचिकाएं दायर कीं। लखनऊ हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को सीतापुर में स्कूल मर्जर पर अंतरिम रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।