लखनऊ कोर्ट का बड़ा फैसला: झूठी FIR दर्ज कराने पर वकील को उम्रकैद और 5 लाख जुर्माना
लखनऊ कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक वकील को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मामला झूठी FIR दर्ज कराने से जुड़ा था। विशेष SC/ST एक्ट अदालत ने वकील परमानंद गुप्ता को दोषी ठहराते हुए 5 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया। वहीं सह-अभियुक्त पूजा रावत को अदालत ने बरी कर दिया, लेकिन सख्त चेतावनी दी कि भविष्य में यदि उसने झूठे मुकदमे दर्ज कराने की कोशिश की तो कठोर कार्रवाई होगी।
केस की जांच और खुलासे
एसीपी विभूतिखंड राधारमण सिंह की जांच में सामने आया कि आरोपी वकील ने संपत्ति विवाद के चलते साजिश रचकर झूठी FIR दर्ज कराई थी। सबूतों और गवाहों से यह साफ हुआ कि कथित घटना स्थल पर शिकायतकर्ता मौजूद ही नहीं थी। अदालत ने माना कि ऐसे अपराध न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करते हैं और समाज में गलत संदेश फैलाते हैं।
अलग-अलग धाराओं में सजा
विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने आदेश में कहा कि परमानंद गुप्ता को तीन अलग-अलग धाराओं में सजा दी गई है—
धारा 217/49 BNS: एक वर्ष साधारण कारावास और ₹10,000 जुर्माना
धारा 248/49 BNS: 10 वर्ष कठोर कारावास और ₹2 लाख जुर्माना
SC/ST एक्ट धारा 3(2)5: आजीवन कठोर कारावास और ₹3 लाख जुर्माना
कोर्ट के आदेश और सख्ती
लखनऊ कोर्ट ने आदेश दिया कि केवल FIR दर्ज होने के आधार पर पीड़ित को राहत राशि न दी जाए। अब से राहत राशि तभी मिलेगी जब पुलिस चार्जशीट दायर कर दे या कोर्ट अभियुक्त को तलब कर ले। अदालत ने माना कि नकद सहायता मिलने से झूठी शिकायत दर्ज कराने की प्रवृत्ति बढ़ती है।
साथ ही, कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि बार-बार दर्ज होने वाली FIR की निगरानी के लिए AI टूल्स का इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा, आदेश की प्रति बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को भेजी जाएगी ताकि दोषी वकील जैसे अपराधी कोर्ट परिसर में न घुस सकें और न ही प्रैक्टिस कर सकें।