
लखनऊ में मंगलवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दिव्यांग प्रकोष्ठ से जुड़े सैकड़ों दिव्यांगों ने विधानसभा के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। यह विरोध दिव्यांग अधिकारों की अनदेखी और सुविधाओं की कमी को लेकर था।
प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर लेटकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दिव्यांगों की आवाज लगातार दबाई जा रही है, और उन्हें सरकारी नौकरियों, स्वास्थ्य सेवाओं व शिक्षा में प्राथमिकता नहीं मिल रही।
मौके पर पहुंची पुलिस ने पहले समझाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं माने तो बलपूर्वक गाड़ियों में बैठाकर ईको गार्डन ले जाया गया। कई महिला दिव्यांगों को पुलिस द्वारा टांगकर गाड़ियों में चढ़ाने के दृश्य भी सामने आए।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें:
दिव्यांग पेंशन ₹3000 प्रति माह की जाए
दिव्यांग अधिनियम 2016 को पूरी तरह लागू किया जाए
लेखपाल भर्ती में दिव्यांगों को नियुक्ति पत्र दिया जाए
सार्वजनिक स्थानों पर पहुंच में सुगमता सुनिश्चित की जाए
कानपुर से आए दिव्यांग अरविंद सिंह ने कहा, “हम लोग 26 सूत्री मांगों को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।”
दिव्यांग मोहम्मद जुबैर ने सवाल किया कि केवल शब्द बदल देने से बदलाव नहीं आता – “हमें विकलांग से दिव्यांग कहा गया, लेकिन सुविधाएं आज भी नहीं मिलीं।”