कानपुर 1500 करोड़ ठगी कांड—डुअल लाइफ, फर्जी कंपनियां और हाई-प्रोफाइल नेटवर्क की परतें खुलीं
कानपुर में सामने आए 1500 करोड़ रुपये के बड़े वित्तीय घोटाले में आरोपी की दोहरी जिंदगी, उसका नेटवर्क और उसकी रणनीतियाँ अब पुलिस रिमांड में खुलती जा रही हैं। सामने आ रहा है कि वह जितना चमकदार जीवन दिखाता था, असल में उतना ही उलझा हुआ और चालाक सिस्टम ऑपरेट कर रहा था।
एक तरफ वह ब्लू चिप इन्वेस्टमेंट कंपनियों की आड़ में हजारों लोगों से करोड़ों रुपये वसूल रहा था, जबकि दूसरी ओर अपने परिवार से अलग एक समानांतर जीवन जी रहा था—ताकि किसी संभावित कार्रवाई के दौरान असल परिवार जांच के दायरे से दूर रहे।
पूछताछ में छलावा—हर बड़े सवाल पर मुकरने की कोशिश
1 दिसंबर को 42 लाख की ठगी के एक पुराने केस में गिरफ्तारी के बाद जब पूछताछ शुरू हुई, तो केवल यूपी ही नहीं बल्कि गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली और दुबई तक से पीड़ितों की शिकायतें सामने आने लगीं। शिकायतों की संख्या 700 से ऊपर पहुंच चुकी है और अनुमान है कि यह आंकड़ा हजार से भी अधिक हो सकता है।
छह दिन की रिमांड पर पूछताछ के दौरान जब उससे करोड़ों की रकम के मूवमेंट के बारे में पूछा गया, तो उसने खुद को “साधारण व्यापारी” बताते हुए कचौड़ी की दुकान का बहाना बनाया। पूछताछ अधिकारियों के अनुसार, वह रणनीतिक रूप से चुप रहता है, विषय बदलता है और सवालों से बचने की कोशिश करता है, जो उसके चालाक आपराधिक व्यवहार की ओर संकेत देता है।
20 कंपनियां, 22 बैंक खाते और हाई-प्रोफाइल प्रमोशन प्लान का खुलासा
जांच में सामने आया कि आरोपी ने लगभग 20 फर्जी कंपनियां, अलग-अलग नामों और डायरेक्टर्स के साथ रजिस्टर कर रखी थीं। इनके 22 बैंक खातों का नियंत्रण भी उसके पास था। निवेश योजनाओं को विश्वसनीय दिखाने के लिए उसने बड़े कलाकारों से प्रमोशनल डील की थी, जिसमें बॉलीवुड सेलीब्रिटी के साथ करोड़ों का करार भी शामिल था। अब पुलिस यह जांच कर रही है कि प्रमोशन में शामिल सभी लोगों को भुगतान किस तरीके से और कितना किया गया।
इंटरस्टेट ही नहीं, इंटरनेशनल नेटवर्क—कनाडा कनेक्शन उजागर
डिजिटल रिकॉर्ड की जांच में पुलिस को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के संकेत मिले। कनाडा में मौजूद एक महिला सहयोगी के जरिए कई विदेशी लेन-देन किए जाने की आशंका है। इसके अलावा यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और दिल्ली में फैले कई संपर्कों की सूची भी हाथ लगी है, जिनकी जांच शुरू हो चुकी है। पुलिस मान रही है कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक व्यापक इंटरस्टेट–इंटरनेशनल फ्रॉड नेटवर्क है।
देशभर में छापेमारी—फर्जी कंपनियों के दस्तावेज, हार्डडिस्क और इनवेस्टमेंट डेटा बरामद
रिमांड मिलते ही पुलिस कई राज्यों में छापेमारी पर निकल गई। जिन स्थानों पर वह कभी रहता था या दफ्तर चलाता था, वहां से पुलिस ने बरामद किए:
लैपटॉप
हार्डडिस्क
निवेश की सूची
फर्जी कंपनी दस्तावेज
बैंकिंग और डिजिटल ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड
इन सभी को मिलाकर पुलिस एक वृहद चार्जशीट तैयार कर रही है।
पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ रही—निवेशकों ने लगाया जीवनभर की कमाई दांव पर
अब तक मिली शिकायतों में ज्यादातर निवेशक वे हैं जिन्होंने ब्लू चिप कंपनी में लाखों-करोड़ों का निवेश किया था। उन्हें शुरू में छोटे रिटर्न देकर भरोसा दिलाया गया, और बड़ी रकम जमा होते ही कंपनी अचानक ऑफिस, हेल्पलाइन और पूरे सिस्टम के साथ गायब हो गई।
महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर भारत के कई शहरों से आए निवेशकों ने बताया कि:
कुछ ने जमीन बेचकर पैसा लगाया
कुछ ने जीवनभर की बचत निवेश कर दी
प्रमोशनल चेहरों के कारण कंपनी पर भरोसा किया
अब वे पूरी तरह ठगे गए महसूस कर रहे हैं।
मुख्य सवाल जिनके जवाब तलाश रही पुलिस
रिमांड के दौरान पुलिस निम्न सवालों के स्पष्ट जवाब चाहती है:
1500 करोड़ रुपये कहां भेजे गए?
क्या रकम विदेश में ट्रांसफर हुई?
ब्लू चिप की वास्तविक डायरेक्टर लिस्ट क्या थी?
नेटवर्क में कौन-कौन शामिल था?
कितनी संपत्तियां खरीदी गईं और किस नाम पर?
क्या उसके पास कई फर्जी पहचान या पासपोर्ट थे?
इन्हीं सवालों के जवाब से इस विशाल आर्थिक अपराध की पूरी तस्वीर सामने आएगी।








