श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 का पर्व इस साल पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और आधी रात को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का उत्सव मनाते हैं। आइए जानते हैं जन्माष्टमी व्रत कथा, भगवान कृष्ण के जन्म की पौराणिक कहानी और इस व्रत का धार्मिक महत्व।
भगवान कृष्ण के जन्म की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मथुरा के राजा उग्रसेन के पुत्र कंस ने अपनी बहन देवकी की शादी वसुदेव से करवाई। विवाह के बाद आकाशवाणी हुई कि देवकी की आठवीं संतान कंस का संहार करेगी। यह सुनकर कंस ने देवकी-वसुदेव को कारागार में कैद कर लिया।
जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तब कारागार के द्वार अपने आप खुल गए और वसुदेव शिशु कृष्ण को यमुना पार गोकुल में नंद बाबा के घर छोड़ आए। यहीं से भगवान कृष्ण की बाललीलाओं की शुरुआत हुई।
जन्माष्टमी व्रत का महत्व
जन्माष्टमी व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यह व्रत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ प्रदान करता है।
इस दिन उपवास और रात्रि जागरण से पुण्य की प्राप्ति होती है।