जन्माष्टमी व्रत 2025: प्रेमानंद महाराज ने बताया सही तरीका, पापों से मिलेगी मुक्ति
जन्माष्टमी 2025 का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। नंद के लाल श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां मंदिरों और घरों में शुरू हो चुकी हैं। इस साल मंदिरों में मुख्य पूजा 15 अगस्त को होगी, जबकि 16 अगस्त को गृहस्थ पूजा और जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस खास दिन सुंदर झांकियां, कीर्तन, और भगवान कृष्ण के प्रिय भोग जैसे दूध, दही, मक्खन और मेवे से सजे थाल तैयार किए जाते हैं।
जन्माष्टमी व्रत का महत्व और सही तरीका
वृंदावन के महान संत प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जन्माष्टमी व्रत तभी फलदायी होता है जब इसे सही तरीके से रखा जाए। अगर व्रत में नियमों का पालन नहीं किया गया तो इसका पूरा लाभ नहीं मिलता। महाराज जी ने व्रत के सही नियम बताए हैं—
श्रीकृष्ण का नए वस्त्र और आभूषणों से भव्य श्रृंगार करें।
श्रीकृष्ण के 108 नामों का जाप करें।
घर में श्रद्धापूर्वक कृष्ण लीला की कथाएं सुनें और कीर्तन करें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और तामसिक भोजन (नॉनवेज, प्याज-लहसुन) से दूर रहें।
श्रीकृष्ण के जन्म के बाद ही भोग प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें।
जन्माष्टमी पर मंदिर दर्शन का महत्व
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि जन्माष्टमी के दिन कृष्ण मंदिर में जाकर विधि-विधान से दर्शन करने से विशेष पुण्य मिलता है। साथ ही भगवान कृष्ण को चावल के मालपुए और घर में बने ताजे मक्खन का भोग जरूर लगाएं, क्योंकि यह उनका प्रिय है।
पापों से मुक्ति का मार्ग
महाराज जी के अनुसार, श्रद्धा और नियमपूर्वक रखा गया जन्माष्टमी व्रत 2025 न केवल सुख-समृद्धि देता है, बल्कि 100 पापों से मुक्ति भी प्रदान करता है।