ISRO: भारत का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03 लॉन्च को तैयार, LVM-3 रॉकेट से 2 नवंबर को उड़ान
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2 नवंबर को अपने सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03 को लॉन्च करने जा रहा है।यह लॉन्च श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। मिशन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला LVM-3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) रॉकेट पूरी तरह तैयार है और 26 अक्टूबर को लॉन्च पैड पर पहुंच चुका है।
भारत का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03
ISRO के अनुसार, CMS-03 सैटेलाइट का वजन करीब 4,400 किलोग्राम है — जो भारत का अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट होगा।इसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया जाएगा, जहां से यह अपने फ्यूल का उपयोग कर ऊपरी कक्षाओं में जाएगा।यह सैटेलाइट भारत और उसके समुद्री क्षेत्रों में तेज़, सुरक्षित और हाई-बैंडविड्थ कम्युनिकेशन सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
CMS-03 सैटेलाइट की खासियत
CMS-03 इसरो द्वारा विकसित एक मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट है जो C, Extended-C और Ku बैंड पर काम करेगा।यह सैटेलाइट आवाज़, डेटा और वीडियो लिंक को सपोर्ट करेगा और पूरे भारत के साथ-साथ भारतीय उपमहाद्वीप के समुद्री इलाकों में दूरसंचार कवरेज को मज़बूत करेगा।
इस सैटेलाइट के ज़रिए —
देश के दूर-दराज इलाकों में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ेगी।
नागरिक और रक्षा संचार दोनों में सुधार होगा।
भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों के बीच सुरक्षित कम्युनिकेशन लिंक बनेगा।
कई रिपोर्टों में CMS-03 को GSAT-7R के नाम से भी संदर्भित किया जा रहा है, जो भारत की समुद्री सुरक्षा प्रणाली को और मज़बूत करेगा।
LVM-3 रॉकेट: इसरो का भरोसेमंद लॉन्चर
LVM-3 रॉकेट, जिसे पहले GSLV Mk-III के नाम से जाना जाता था, भारत का सबसे शक्तिशाली हेवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है।यही रॉकेट चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्च के लिए इस्तेमाल किया गया था, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग की थी।CMS-03 मिशन के साथ, LVM-3 पांचवीं बार उड़ान भरेगा, और यह इसरो की भारी पेलोड क्षमता और स्पेस कम्युनिकेशन मिशन को नई ऊंचाई देगा।
भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी में एक और मील का पत्थर
इस लॉन्च के बाद भारत की संचार उपग्रह प्रणाली (Communication Satellite System) और भी उन्नत हो जाएगी।CMS-03 मिशन भारत की डिजिटल पहुंच, नेवी कनेक्टिविटी और स्पेस टेक्नोलॉजी को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देगा।








