
Dhadak 2 Review:जो कि तमिल फिल्म ‘परियेरुम पेरुमल’ की हिंदी रीमेक है, एक बार फिर बॉलीवुड में जातिवाद जैसे गंभीर विषय को फ्रंटफुट पर लाती है। इस फिल्म में तृप्ति डिमरी और सिद्धांत चतुर्वेदी लीड रोल में हैं। जहां एक ओर यह फिल्म एक प्रेम कहानी के जरिए सामाजिक संदेश देती है, वहीं दूसरी ओर इसकी पटकथा और प्रस्तुति में कुछ कमज़ोरियां भी दिखाई देती हैं।
फिल्म की शुरुआत से ही यह स्पष्ट कर दिया जाता है कि इसका उद्देश्य जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाना है। प्रेम कहानी इसकी पृष्ठभूमि में आती है और यह सवाल उठता है कि क्या ये फिल्म प्रेम में जातिवाद की लड़ाई है या जातिवाद में फंसी एक प्रेम कहानी?
निर्देशक शाजिया ने अपने तरीके से इस संवेदनशील मुद्दे को पर्दे पर उतारा है, जो काबिल-ए-तारीफ है। Dharma Productions जैसे बैनर का इस विषय को उठाना इस फिल्म को खास बना देता है।
फिल्म की खूबियां (Positives)
समाज से जुड़ा विषय: मौजूदा दौर की मसाला फिल्मों के बीच, एक ऐसी फिल्म का आना जो जातिवाद जैसे मुद्दे को उठाए, सराहनीय है।
दृश्य और भावनाएं: फिल्म के कई दृश्य भावुक करते हैं और दिल को छूते हैं।
अभिनय: सिद्धांत चतुर्वेदी ने अपने किरदार को सहजता से निभाया है। तृप्ति डिमरी कुछ दृश्यों में दमदार दिखती हैं।
सपोर्टिंग कास्ट: विपिन शर्मा, ज़ाकिर हुसैन, आदित्य और साद जैसे कलाकारों का काम असरदार है।
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर: गाने फिल्म की थीम के अनुसार हैं, विशेषकर सेकंड हाफ में यह कसावट के साथ आगे बढ़ती है।
कमज़ोरियां (Negatives)
फर्स्ट हाफ कमजोर: कहानी बार-बार जातिवाद के दृश्य दिखाती है, जिससे कथानक भटकता है।
स्क्रीनप्ले में स्पून-फीडिंग: हर सीन में दर्शकों को समझाने की कोशिश की गई है कि जातिवाद क्या है, जो ज़रूरत से ज़्यादा हो जाता है।
सौरभ सचदेव का किरदार अधूरा: उनका किरदार बिना बैकस्टोरी के अधूरा लगता है।
कुछ क्लिशे सीन: जैसे कि छत वाला सीन, फिल्म की रफ्तार को धीमा करते हैं।
रेटिंग: 3/5 स्टार