अरावली खनन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने सरकार से स्पष्ट जवाब मांगते हुए कहा कि इस मामले में स्पष्टीकरण आवश्यक है। कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 20 नवंबर के फैसले में दिए गए निर्देशों को स्थगित रखने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान अदालत ने संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों की मदद से उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा।
24 दिसंबर के केंद्रीय निर्देश
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 24 दिसंबर को नए निर्देश जारी किए। इन निर्देशों के अनुसार, अरावली क्षेत्र में नए खनन की मंजूरी पर रोक लागू रहेगी। इसका उद्देश्य अरावली रेंज की अखंडता और सतत भूवैज्ञानिक शृंखला की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
ICFRE की भूमिका
पर्यावरण मंत्रालय ने ICFRE को निर्देश दिए हैं कि पूरे अरावली क्षेत्र में अतिरिक्त संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की जाए, जिन पर खनन पर रोक लगाई जा सके। ICFRE को एक विज्ञान आधारित प्रबंधन योजना तैयार करनी होगी, जिसे सार्वजनिक कर सभी साझेदारों से परामर्श किया जाएगा। इस योजना में पर्यावरणीय आकलन, पारिस्थितिक क्षमता और संवेदनशील क्षेत्रों की संरक्षण रणनीति शामिल होगी।
इस आदेश के बाद अरावली खनन मामले में सभी अनियमित गतिविधियों की निगरानी और संरक्षण के उपायों को तेज किया जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संवेदनशील क्षेत्रों में खनन पर रोक और पुनर्वास योजनाएं सुनिश्चित की जाएंगी।








