समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने शनिवार को प्रेस कॉफ़्रेंस कर मृत BLO के परिवार को ₹2 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की। उन्होंने सरकार से मांग की कि परिवार को ₹1 करोड़ का मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।सपा की ओर से आरोप लगाया गया कि BLO पर अत्यधिक दबाव बढ़ रहा है और यह स्थितियां कार्यस्थल सुरक्षा को प्रभावित कर रही हैं।
SIR सर्वे को लेकर सरकार पर जल्दबाजी का आरोप
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा प्रमुख ने दावा किया कि—
SIR सर्वे तेजी से कराने में स्थानीय कर्मचारियों पर अतिरिक्त भार बढ़ा है।
नगर पालिका कर्मियों समेत कई कर्मचारी अचानक सर्वे कार्य में लगाए जा रहे हैं।
सर्वे प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता और समयबद्धता पर सवाल पैदा हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ब्लॉक और वार्ड स्तर पर कर्मचारियों पर बढ़ता दबाव चिंता का विषय है।
BLO परिवार को दी सहायता, सुरक्षा और दबाव के मुद्दे उठाए
मलिहाबाद क्षेत्र के BLO की मृत्यु पर दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की।
सपा का कहना है कि—
यह घटना BLO पर काम के दबाव और व्यवस्थागत चुनौतियों को उजागर करती है।
सरकार को क्षेत्रीय कर्मचारियों की सुरक्षा, समय-सीमा और जिम्मेदारियों पर स्पष्ट नीति बनानी चाहिए।
सपा ने चेतावनी दी कि यदि कर्मचारी दबाव में काम करने को मजबूर हुए, तो पार्टी इसका विरोध करेगी।
उपचुनाव और वोटिंग प्रक्रिया पर सवाल
सपा प्रमुख ने उपचुनावों के दौरान चुनाव प्रक्रिया पर भी प्रश्न उठाए।
उनका आरोप है कि—
मतदान केंद्रों पर अनियमितताओं की शिकायतों पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं हुई।
कई इलाकों के CCTV फुटेज की जांच की आवश्यकता है।
उन्होंने दावा किया कि पार्टी को मिले फीडबैक के अनुसार कई क्षेत्रों में वोटिंग पैटर्न पर प्रभाव पड़ा।
डाटा और वोटिंग संबंधित विवादों का जिक्र
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पार्टी नेता द्वारा लिखी गई चिट्ठी का जिक्र करते हुए कहा गया कि—
घोसी लोकसभा क्षेत्र में कुछ बूथों पर वोट संख्या में कमी की शिकायतें दर्ज की गई हैं।
सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध डाटा का मिलान आवश्यक है।
सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि डिजिटल डाटा की जांच और सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
राजनीतिक कटाक्ष और संगठित नेटवर्क के आरोप
सपा की ओर से भाजपा पर विभिन्न “नेटवर्क्स” के प्रभाव का दावा किया गया और कहा गया कि—
परीक्षा और अन्य प्रक्रियाओं से जुड़े कथित रैकेटों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
विभिन्न जिलों में लंबे समय से विवादित नेटवर्कों की शिकायतें आती रही हैं।
यह दावे राजनीतिक बयानबाज़ी का हिस्सा हैं, जिनकी स्वतंत्र जांच आवश्यक है।








