लखनऊ में डॉग मेनेंस के बावजूद आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले 6 साल में नगर निगम द्वारा कुल 95 हजार कुत्तों की नसबंदी की गई, लेकिन शहर में अब भी लगभग सवा लाख से अधिक आवारा कुत्ते घूमते हैं।
नगर निगम ने आवारा कुत्तों और पालतू डॉग्स के नियंत्रण के लिए पेट लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है। हालांकि, 110 वार्डों में सिर्फ 2200 लोगों ने पेट लाइसेंस बनवाया है। अभियान चलाकर लाइसेंस बनाने की अपील की जा रही है, लेकिन इसका असर काफी कम है।
नसबंदी के बावजूद आवारा कुत्तों की समस्या
नगर निगम की तरफ से आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का काम ह्यूमन वर्ल्ड फॉर एनिमल्स संस्था के माध्यम से किया जाता है। इस दौरान रोजाना लगभग 60 कुत्तों की नसबंदी होती है। गर्भवती कुत्तों की नसबंदी नहीं होती और 6 महीने तक किसी कुत्ते का बधियाकरण नहीं किया जाता।
अधिकारियों के अनुसार, हर दिन करीब 10 शिकायतें आवारा कुत्तों से संबंधित आती हैं, जिनमें काटने और आक्रामक व्यवहार के मामले शामिल हैं। वर्तमान में शहर में 5 कुत्ते पकड़ने वाले कर्मचारी, 14 डॉग कैचिंग स्टाफ और 4 वाहन हैं, जिनसे आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है।
नसबंदी के बावजूद आवारा कुत्तों की समस्या
नगर निगम की तरफ से आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का काम ह्यूमन वर्ल्ड फॉर एनिमल्स संस्था के माध्यम से किया जाता है। इस दौरान रोजाना लगभग 60 कुत्तों की नसबंदी होती है। गर्भवती कुत्तों की नसबंदी नहीं होती और 6 महीने तक किसी कुत्ते का बधियाकरण नहीं किया जाता।
अधिकारियों के अनुसार, हर दिन करीब 10 शिकायतें आवारा कुत्तों से संबंधित आती हैं, जिनमें काटने और आक्रामक व्यवहार के मामले शामिल हैं। वर्तमान में शहर में 5 कुत्ते पकड़ने वाले कर्मचारी, 14 डॉग कैचिंग स्टाफ और 4 वाहन हैं, जिनसे आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है।
नसबंदी का साल-दर-साल आंकड़ा
2019–2020: 5800 कुत्तों की नसबंदी (मेल: 3414, फीमेल: 2431)
2020–2021: 12,260 कुत्तों की नसबंदी (मेल: 6721, फीमेल: 5539)
2021–2022: 15,918 कुत्तों की नसबंदी (मेल: 7626, फीमेल: 8292)
2023–2024: 21,141 कुत्तों की नसबंदी (मेल: 10,306, फीमेल: 10,835)
2024–2025: 94,679 कुत्तों की नसबंदी (मेल: 50,050, फीमेल: 44,629)
इन आंकड़ों के बावजूद लखनऊ में नसबंदी के बाद कुत्तों की संख्या कम नहीं हुई और आवारा कुत्तों की समस्या बढ़ती जा रही है।
आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और सुरक्षा
लखनऊ की गलियों और मोहल्लों में आवारा कुत्ते झुंड बनाकर लोगों पर हमला करते हैं। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह समस्या गंभीर है। पार्षद और स्थानीय निवासी लगातार नगर निगम से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं हो रहा।
नगर निगम द्वारा पेट लाइसेंस न होने पर 2,500 से 5,000 रुपए तक जुर्माना लगाया जाता है। विदेशी नस्ल के लिए लाइसेंस शुल्क 1,000 रुपए और देसी कुत्तों के लिए 200 रुपए निर्धारित है।
समाधान की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दिल्ली-एनसीआर में शेल्टर होम बनाए गए हैं। इसी तरह लखनऊ में भी शेल्टर होम की आवश्यकता है, जिससे आवारा कुत्तों की समस्या कम हो सके।
स्थानीय पार्षद और नागरिक लगातार इस मुद्दे को लेकर आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए और प्रभावी कदम उठाने होंगे।