
प्रयागराज बाढ़ से बढ़ी शवदाह की चुनौती: श्मशान घाट डूबे, विद्युत शवदाह गृह पर लाशों की कतार
प्रयागराज बाढ़ की स्थिति दिन-ब-दिन भयावह होती जा रही है। शहर में जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। जहां सड़कों पर नावें चल रही हैं, वहीं शवों के अंतिम संस्कार में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रसूलाबाद, दारागंज और फाफामऊ जैसे 25 से अधिक प्रमुख श्मशान घाट बाढ़ में जलमग्न हो चुके हैं, जिससे अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को विद्युत शवदाह गृह का रुख करना पड़ रहा है।
श्मशान घाट डूबे, अंतिम संस्कार बना चुनौती
बाढ़ ने प्रयागराज के लगभग सभी घाटों को अपनी चपेट में ले लिया है। शास्त्री ब्रिज के नीचे स्थित दारागंज घाट, फाफामऊ और रसूलाबाद घाट पूरी तरह से जलमग्न हैं। नतीजतन, यहां शवों का दाह संस्कार करना नामुमकिन हो गया है। मजबूरन परिजन विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार करवा रहे हैं।
विद्युत शवदाह गृहों पर शवों की लंबी कतार
तेलियरगंज स्थित शंकर घाट विद्युत शवदाह गृह और फाफामऊ के शवदाह गृहों पर रोजाना 25 से 30 शव जलाए जा रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या केवल 5 के करीब होती थी। शवों के अंतिम संस्कार के लिए टोकन सिस्टम लागू किया गया है। एक शव को जलाने में करीब 40 से 45 मिनट का समय लग रहा है, जिससे परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
प्रयागराज में गंगा-यमुना खतरे के निशान से ऊपर
मंगलवार सुबह 8 बजे की रिपोर्ट के अनुसार:
यमुना (नैनी): खतरे से 1.23 मीटर ऊपर
गंगा (फाफामऊ): 1.36 मीटर ऊपर
गंगा (छतनाग): 63 सेमी ऊपर
बढ़ते जलस्तर के कारण गलियों में नावें चल रही हैं, और पूरे क्षेत्र में आपातकालीन हालात बने हुए हैं।
श्रृंगवेरपुर पीठाधीश्वर जगद्गगुरु शांडिल्य महाराज का कहना है कि हिंदू धर्म में विधि-विधान से शवदाह ज़रूरी है। विद्युत मशीन से शव जलाना गलत नहीं है, लेकिन सही विधि-विधान का पालन न होना चिंता का विषय है।