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Chhath Puja 2025: तीसरे दिन अस्त सूर्य को अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त

Chhath Puja 2025 पूजा विधि और सूर्य देव का भोग

Chhath Puja 2025: अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Chhath Puja 2025: धनतेरस और दिवाली के बाद लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा धूमधाम से मनाया जाएगा। यह चार दिन तक चलने वाला पर्व सूर्य उपासना और पारिवारिक समृद्धि का प्रतीक है। इसकी शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है, दूसरा दिन ‘खरना’, तीसरा दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य, और चौथा दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ समाप्त होता है।

छठ पूजा 2025 की तिथि और विशेषता

इस वर्ष Chhath Puja 2025 का चौथा दिन सोमवार, 27 अक्टूबर को पड़ेगा।इस दिन शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य  दिया जाएगा, जबकि अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन होगा।छठ पूजा सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित व्रत है, जिसमें व्रती जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के स्वास्थ्य, समृद्धि और संतान की उन्नति की कामना करते हैं।

Chhath Puja 2025 Arghya Time (अर्घ्य का शुभ मुहूर्त)

हिंदू पंचांग के अनुसार, 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय है:शाम 5:10 बजे से लेकर शाम 5:58 बजे तक

छठ पूजा की पूजन विधि (Chhath Puja Puja Vidhi)

तीसरे दिन, यानी कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को व्रती निर्जला उपवास रखते हैं और शाम के समय नदी, तालाब या घाट पर पहुंचकर अस्त सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

अर्घ्य के दौरान प्रयोग होने वाली सामग्री:

  • बांस के बने सूप या डलिया में फल, ठेकुआ, नारियल, गन्ना, दीया और अन्य प्रसाद रखा जाता है।

  • व्रती पीतल के पात्र या कलश से सूर्य की दिशा में मुख करके जल अर्पित करते हैं।

  • इस समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप किया जाता है।

  • अर्घ्य के बाद दीपक जलाकर जल में प्रवाहित करना शुभ माना जाता है।

उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा

अगले दिन, यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी को प्रातःकाल व्रती उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हैं।यह छठ पर्व का समापन दिवस होता है और इसे “परना” कहा जाता है।इस दिन परिवार के सदस्य सामूहिक रूप से पूजा करते हैं और सूर्य देव से आरोग्य, संतान सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।

छठ व्रत के लाभ (Benefits of Chhath Puja 2025)

  • यह व्रत संतान की प्राप्ति, उसके स्वास्थ्य और सफलता के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • सूर्य देव की कृपा से पाचन और त्वचा से जुड़ी बीमारियों में सुधार होता है।

  • जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उनके लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी माना गया है।

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